गीत/नवगीत

मैं विश्वनाथ का नंदी हूँ

मैं विश्वनाथ का नंदी हूँ, दे दो मेरा अधिकार मुझे।

वापी में हैं मेरे बाबा, कर दो सम्मुख-साकार मुझे।।

अब तो जागो हे सनातनी, डम- डमडम डमरू बोल रहा।

न्यायालय आकर वापी में, इतिहास पुराने खोल रहा।।

अब बहुत छुप चुके हे बाबा, करने दो जय-जयकार मुझे।

एक विदेशी खानदान ने, मंदिर को नापाक किया था।

मूल निवासी सनातनी के, काट कलेजा चाक किया था।।

औरंगजेब नाम था उसका, वह धर्मांध विनाशक था।

भारत माता के आँचल का, वह कपूत था,नाशक था।।

आस्तीन में साँप पले थे, बहु बार मिली थी हार मुझे।

ले रहा समय अब अँगड़ाई, खुल रहे नयन सुविचार करो।

बहुत सो चुके हे मनु वंशज, उठ पुनः नया उपचार करो।।

लख रहा दूर से बेसुध मैं, वर्षों से बाबा दिखे नहीं।

मैं अपलक चक्षु निहार रहा, विधि भी आकर कुछ लिखे नहीं।।

अवध अहिल्या भक्तिन जैसा, दिख नहीं रहा अवतार मुझे।

— डॉ अवधेश कुमार अवध

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 [email protected] शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन