दूजों पर उपकार
भेदभाव मन में रखें, मत कर उससे बात
दूरी बनाकर रखिये, हरदम यारों तात
ग़रीब रहता है सदा, रोटी से यदि दूर
करिये उसकी भूख का, प्रबंध भी भरपूर
पड़ जाती आदत जिसे, मांगने की उधार
फिर रमेश वो मांगता, आपसे बार-बार
मिले विरासत में तुझे, अच्छे ही संस्कार
फिर जीवन में कर सदा, दूजों पर उपकार
जिसके पास भी रहता, ज्ञान भरा भंडार
करना उससे दोस्ती, होगा बेड़ा पार
बड़ा वही है ज्ञान में, आज यहां इंसान
मर जाने के बाद भी, जगत करें गुणगान
बोलना जहां बोलिये, रमेश मीठे बोल
फिर अपने ही प्रेम की, सारी गांठे खोल
वाणी में संयम रखें, रखें उत्तम विचार
एक दिन पूजेगा तुझे, सारा ये संसार
भूल गये नाते सभी, भूले शिष्टाचार
जब से मानव का हुआ, पैसों का व्यवहार
जो भी धरती फाड़कर, उगाता खूब धान
कहलाता है आज वो, इस देश का किसान
— रमेश मनोहरा