मुक्तक/दोहा

दोहे –राही मनवा

राही मनवा  सोच ले,  आया तू किस  काम।

नेक सदा ही  कर्म कर ,जप ले हरि का नाम।।

राही  मनवा   राह  में, बिछे   कंटक   हजार।

माया ठगनी ठग रही, तू   मत  करना   प्यार।।

काम क्रोध मद लोभ के, बिछे   घनेरे   जाल।

राही मनवा ध्यान से, मत  फॅंसना  इस चाल।।

सत्य राह चलना सदा, छोड़  झूठ  का  साथ।

राही मनवा प्रीत कर, पकड़  दीन  का   हाथ।।

राही    मनवा   जान   ले, नश्वर  यह  संसार।

आया न किसी काम के, यह जीवन   बेकार।।

राही मनवा  प्यार  कर,  सब  अपने  हैं  मीत।

सभी को अपने  साथ रख, गाओ  मीठे  गीत।।

राही मनवा जान के,  कहना  सब  का  मान।

सदा अनुज से प्यार हो,  मात  पिता  सम्मान।।

— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995