दोहे –राही मनवा
राही मनवा सोच ले, आया तू किस काम।
नेक सदा ही कर्म कर ,जप ले हरि का नाम।।
राही मनवा राह में, बिछे कंटक हजार।
माया ठगनी ठग रही, तू मत करना प्यार।।
काम क्रोध मद लोभ के, बिछे घनेरे जाल।
राही मनवा ध्यान से, मत फॅंसना इस चाल।।
सत्य राह चलना सदा, छोड़ झूठ का साथ।
राही मनवा प्रीत कर, पकड़ दीन का हाथ।।
राही मनवा जान ले, नश्वर यह संसार।
आया न किसी काम के, यह जीवन बेकार।।
राही मनवा प्यार कर, सब अपने हैं मीत।
सभी को अपने साथ रख, गाओ मीठे गीत।।
राही मनवा जान के, कहना सब का मान।
सदा अनुज से प्यार हो, मात पिता सम्मान।।
— शिव सन्याल