सामाजिक

कामयाबी की चाह , रिश्ते का क़त्ल

सच अब कैसे कोई किसी पर विश्वास करे , यहॉं तो इतने गहरे पवित्र रिश्ते में ही विश्वास का क़त्ल कुछ इस तरह हुआ की कोई पुरुष , अरे! विवाहित पुरुष की बात कर रही मैं । कैसे विश्वास करे की वो जिसकी कामयाबी से अपना सर बुलंद कर एक इतिहास रचाना चाहता है और वही उसके विश्वास का एसा क़त्ल करे की उसके पैरों तले जमीन ही जैसे खिसक जाए तो बताओ कौन विश्वास करेगा अब गहरे रिश्ते में और विश्वास के आधार पर कौन आजादी देगा रिश्ते के बंधन में ‌बंधी महिलाओं अरे शादी शुदा वह महिला जिसका पति उसे विश्वास के भरोसे इतनी आज़ादी देता की वो उसके ही दी आजादी सहयोग विश्वास का ही क़त्ल कर दे । 

बहुत भ्रम जाल से भरे हैं ना मेरे शब्द , बिल्कुल उस मकड़ जाल की तरह जिसे समझ पाना मुश्किल सा लगे । तो चलो सरल शब्दों में अपनी उस बात को समझाना चाहती हूॅं , एक खबर पढ़ी , ट्विटर पर आज तारीख है ७/१/२४ तो इस दिन भटक रही थी ट्विटर के गलियारे में फैली खबरों के बीच , तभी एक खबर पर मेरी नज़र जैसे ही पड़ी भटकती अपनी आंखों को एकाग्र कर टकटकी लगाकर बस पढ़ने लगी उस खबर को जिसे पढ़ते ही मन में एक ही बात आई या कह लो जो व्यंग्य आया , वो था कामयाबी की चाह , रिश्ते का क़त्ल । 

वो ख़बर संबंधित थी पंजाब के किसी शख्स की जिसने अपनी जीवनसंगिनी की पढ़ाई के प्रति ललक देखते हुए आगे की पढ़ाई के लिए उसे कनाडा भेजा , शायद सोच ये रही होगा उस व्यक्ति कि की यदि पत्नी को पढ़ा लिखा लूंगा तो लोग मुझे शाबाशियां देंगे , की इसने इतिहास रचा अपनी पत्नी के प्रति या ये भी सोचा होगा कि पत्नी पढ़ेगी तो मेरे नाम के साथ-साथ वो अपना और परिवार का भला सोचते हुए कुछ कमा भी लेगी अपनी शिक्षा का सही प्रयोग करते हुए या आगे चल कर अपने होने वाले बच्चों के लिए एक अच्छी मार्गदर्शक बनेगी या कुछ भी सोच हो सकती है अरे पर ये क्या खबर जब पढ़ी तो मुझे सच कहूं उस इंसान के प्रति बहुत सहानुभूति का अहसास हुआ बात ही कुछ ऐसी थी जिस पत्नी को वो अपना गर्व बनाने की चाह में विश्वास कर विदेश भेजा अपनी ज़मीन तक बेचकर । उसकी उसी पत्नी को कनाडा में ही पढ़ाई के साथ-साथ किसी ओर से मोहब्बत हो गई और उसने बिना बताए उस व्यक्ति से शादी तक कर ली । अरे ये कोई बात होती है क्या ? पति ने ना जाने क्या-क्या सपने संजोए , विश्वास किया और उसके विश्वास का क़त्ल कर उसे जैसे तो जीते-जी अर्थी पर ही लेटा दिया । जब पति ने उसके ऊपर अपने हक होने की बात फोन पर की तो उसी पत्नी ने उसे कनाडा से ही फोन पर धमकी भी दे दी । अरे ! ये तो एसी बात हुई की एक चोर रंगे हाथों पकड़ने जाने पर भी अपना गुनाह कबूल कर माफ़ी मांगने के बजाय पकड़ने वाले को ही चोर करार दे रहा हो जैसे उफ्फ़ अब आप ही बताओ कोई कैसे किसी पर विश्वास करे ये तो सरासर नाइंसाफी ही है उस पुरूष के साथ ।

उस पत्नी ने एक बार तो सोचा होता कि वो उसके शिक्षा के लिए समाज के साथ-साथ अपनों से भी लड़ा होगा , परिवार में ही अपनों के खिलाफ हो अपनी पत्नी के अरमानों के आगे ढ़ाल बन खड़ा होगा । यहॉं तक की अपनी आजीविका का साधन अपनी ज़मीन तक बेच दी सिर्फ रिश्ते को ओर भी प्रगाढ़ करने और विश्वास पर खरे उतरने के लिए पर ये क्या आज वही अपनों के साथ-साथ समाज में भी हंसी का पात्र बन रहा होगा , उसके अपने उसे कोस कह रहे होंगे की हमनें तो समझाया था मत भेज पत्नी को बाहर पर तू ही नहीं माना अब भुगत अपने ही लिये जिद्द भरे फैसले को । कितनों के ताने तब सुने जब पत्नी का हित चाहा , कितनों के ताने अब सुन रहा होगा जब पत्नी से ही फरेब पाया । 

एक बात की ओर से विशेष ध्यान दिलवाना चाहती हूॅं! जब इस तरह विश्वास का क़त्ल कोई पत्नी कर देती है तो वो तो तमाम उन महिलाओं के सपनों को भी तोड़ देती हैं जो शादी के बाद भी पढ़ना चाहती हैं । अब आप ही बताइए इस तरह की खबरों को पढ़ , सुनकर क्या कोई भी पति अपनी पत्नी के सपनों संग कांधे से कांधा मिला कर खड़े होने की कभी कोशिश करेगा । हर किसी का पति इस तरह की खबर पढ़ जैसा कि पंजाब के एक व्यक्ति के अरमानों कि अर्थी को देखकर उससे सबक पहले से ही सीख लेगा अब हर एक इंसान और वो कभी नहीं चाहेगा उसकी अपनी पत्नी आगे पढ़े और उसी के दिये बलिदानों का क़त्ल करे । खैर इस महिला ने जो भी किया पर मेरी नज़र में वो बहुत ग़लत है साथ ही देश की बहुत सी महिलाओं के शादी के बाद भी शिक्षा प्राप्त करने के लिए सजाए सपनों का भी क़त्ल है । कभी किसी के बलिदानों और विश्वास का क़त्ल कर उसे दर्द-ए विरह में नहीं झोंकें , बलिदान देने वाले हमसफ़र नहीं देते हैं धोखे ।

— वीना आडवाणी तन्वी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित