राजनीति

दुल्हनों को छोड़कर भागने वाले एनआरआई ओसीआई दूल्हे की अब खैर नहीं 

वैश्विक स्तरपर नारी को सबसे अधिक सम्मान और पूज्यनीय के स्थान का दर्जा भारत को आदि अनादि काल से मिला हुआ है। यहां नारी को मां काली मां लक्ष्मी मां दुर्गा मां सरस्वती सहित अनेक देवी शक्तियों के स्थान प्राप्त हैं। परंतु फिर भी हम देखते हैं कि नारी अत्याचार के केस शादी धोखाधड़ी, रेप,अन्याय के केस बढ़ते जा रहे हैं। हाल ही में पश्चिम बंगाल में संदेशखाली महिला यौन उत्पीड़न का मामला पूरे देश में गूंज रहा है। अनेक आंदोलन हो रहे हैं सभी पार्टियां अपने-अपने ढंग से प्रोटेस्ट कर रही है। वहीं  हम लंबे अरसे से देख रहे हैं कि भारत की बेटियों के साथ एनआरआई ओसीआई द्वारा खूब ख्याली ख्वाब दिखाकर शादी की जाती है, फिर उन्हें या तो विदेश ले जाकर कुछ महीने बाद छोड़ दिया जाता है या फिर विदेश नहीं ले जाकर वहां ले जाने के ख्वाब दिखाकर रफू चक्कर हो जाने के मामले हम प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अक्सर देखते रहते हैं, जिसपर सरकार ने संज्ञान लेकर लॉ कमीशन को रिपोर्ट के लिए सेवा नृत्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी, अब लॉ कमीशन ने आज दिनांक 16 फरवरी 2024 को देर शाम केंद्रीय कानून मंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। अब आने वाले समय में हम देखेंगे कि एनआरआई और ओसीआई  द्वारा भारतीय बेटियों के साथ  वैवाहिक धोखाधड़ी रोकने कानूनी प्रक्रिया  प्रारंभ हुई है अब शादी के बाद पत्नी छोड़कर जाने वाले एनआरआई दुल्हनों पर सख्त गाज गिरेगी। चूंकि लॉ कमीशन ने अब कानून मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारतीय दुल्हनों को छोड़कर भागने वाले एनआरआई ओसीआई दूल्हों की अब खैर नहीं, लॉ कमीशन ने रिपोर्ट सौंप दी है, इसलिए अब भारतीय बेटियों से वैवाहिक धोखाधड़ी करने वाले एनआरआई और ओसीआई को भारतीय कानून के सख्त दायरे में लाना समय की मांग है। 

साथियों बात अगर हम लॉ कमीशन द्वारा कानून मंत्रालय को दिनांक 16 फरवरी 2024 को देर शाम सौंपी रिपोर्ट की करें तो, विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस (सेवानिवृत्त)  ने विधि मंत्रालय को अनिवासी भारतीयों और भारत के प्रवासी नागरिकों से संबंधित वैवाहिक मुद्दों पर कानून नामक रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट के अनुसार, आयोग की राय है कि प्रस्तावित केंद्रीय कानून अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) और भारतीय मूल के प्रवासी विदेशी नागरिकों (ओसीआई) के भारतीय नागरिकों के साथ विवाह से जुड़े सभी पहलुओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त रूप से व्यापक होना चाहिए। विधि आयोग  का कहना है कि नॉन रेजिडेंस इंडियन और भारतीय नागरिकों के बीच सभी शादियों को अनिवार्य रूप से भारत में रजिस्टर्ड किया जाना चाहिए। कानून और न्याय मंत्रालय को सौंपी गई एक रिपोर्ट में लॉ कमीशन ने सिफारिश की है कि झूठे आश्वासन, गलत बयानी और शादी के बाद छोड़ देने जैसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कदम बेहद जरूरी है। हालही में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां, उनके पतियों द्वारा उन्हें छोड़ दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है एनआरआई द्वारा भारतीय पार्टनर्स से शादी करने के मामलों में धोखाधड़ी वाली शादियों की घटनाएं बढ़ रही हैं, जो चिंता का विषय है। कई रिपोर्ट्स इस बढ़ते पैटर्न को उजागर करती हैं जहां ये शादियां धोखा साबित हुई हैं, जिससे भारतीय पार्टनर, विशेषकर महिलाओं को मुश्किल परिस्थितियों में डाल दिया जाता है।आगे यह सिफारिश की गई है कि एनआरआई/ओसीआई और भारतीय नागरिकों के बीच सभी शादियों को भारत में अनिवार्य रूप से पंजीकृत किया जाना चाहिए। पैनल ने सिफारिश की है कि नए कानून में तलाक, जीवनसाथी के भरण-पोषण, बच्चों की कस्टडी और भरण-पोषण और एनआरआई और ओसीआई पर समन, वारंट या न्यायिक दस्तावेजों की तामील के प्रावधान भी शामिल होने चाहिए। कानून में बदलाव की सिफारिशइसमें कहा गया है कि वैवाहिक स्थिति की घोषणा, एकपति-पत्नी के पासपोर्ट को दूसरे के साथ जोड़ना और दोनों पति-पत्नी के पासपोर्ट पर मैरिज रजिस्ट्रेशन नंबर का उल्लेख करना अनिवार्य करने के लिए पासपोर्ट एक्ट 1967 में आवश्यक संशोधन किए जाने की आवश्यकता है। जस्टिस (सेवानिवृत्त) ने कानून मंत्री को लिखे अपने कवरिंग लेटर में कहा, अनिवासी भारतीयों(एनआरआई) और भारतीय नागरिकों के बीच शादी के मामलों में बढ़ती धोखाधड़ी चिंताजनक है। रिपोर्ट इस बढ़ती प्रवृत्ति को उजागर करती हैं जहां ये शादियां धोखाधड़ी साबित होती हैं, जिससे भारतीय पति-पत्नियों, विशेषकर महिलाओं को अनिश्चित परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। आयोग ने कहा कि इस तरह का कानून न सिर्फ एनआरआई, बल्कि भारतीय मूल के प्रवासी विदेशी नागरिकों (ओसीआई) के दर्जे के साथ आने वाले लोगों पर भी लागू होना चाहिए। जस्टिस अवस्थी ने कहा, यह भी सिफारिश की जाती है कि एनआरआई/ओसीआई और भारतीय नागरिकों के बीच सभी विवाहों को भारत में अनिवार्य रूप से पंजीकृत किया जाना चाहिए। 

साथियों बात अगर हम लॉ कमीशन द्वारा सुझाए गए बिंदुओं की करें तो, जस्टिस (सेवानिवृत्त) ने कहा कि, यह अनुशंसा की जाती है कि वैवाहिक स्थिति की घोषणा, पति-पत्नी के पासपोर्ट को एक-दूसरे के साथ जोड़ना और दोनों के पासपोर्ट पर विवाह पंजीकरण संख्या का उल्लेख करना अनिवार्य करने के लिए पासपोर्ट अधिनियम, 1967 में अपेक्षित संशोधन किए जाने की आवश्यकता है।आयोग ने याद दिलाया कि इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए अनिवासी भारतीय विवाह पंजीकरण विधेयक, 2019 को 11 फरवरी, 2019 को राज्यसभा में पेश किया गया था।शुरू में, 16वीं (पिछली) लोकसभा ने विधेयक को विदेश मामलों की समिति को भेजा था। इसके बाद, 17वीं (वर्तमान) लोकसभा के गठन के बाद उसी विधेयक को आगे की पड़ताल के लिए फिर से विदेश मामलों की समिति के पास भेज दिया गया था।  विचार-विमर्श जारी रहने के बीच विधि आयोग को विदेश मंत्रालय सेएनआरआई विधेयक, 2019 पर एक संदर्भ प्राप्त हुआ, जो गत अप्रैल में विधि मंत्रालय के माध्यम से मिला। एनआरआई के साथ-साथ भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों के विवाह से जुड़े सभी पहलुओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। पैनल ने कहा कि ऐसा कानून न केवल एनआरआई पर बल्कि उन व्यक्तियों पर भी लागू किया जाना चाहिए जो नागरिकताअधिनियम, 1955 में निर्धारित भारत के प्रवासी नागरिक (ओसीआई) की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं। पैनल के अध्यक्ष ऋतुराज अवस्थी ने कहा कि व्यापक कानून में तलाक, जीवनसाथी के भरण-पोषण, बच्चों की भविष्य की रक्षा और भरण पोषण, एनआरआई और ओसीआई पर समन, वारंट या न्यायिक दस्तावेजों की आज्ञा के प्रावधान भी शामिल होने चाहिए। 16वीं लोकसभा ने विधेयक को विदेश मामलों की समिति को भेजा था। इसके बाद, 17वीं लोकसभा के गठन के बाद उसी विधेयक को आगे की जांच के लिए फिर से विदेश मामलों की समिति के पास भेजा गया था। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि शादी के बाद पत्नी छोड़कर भागने वाले एनआरआई ओसीआई दूल्हों पर अब सख्त गाज़ करेगी।भारतीय दुल्हनों को छोड़कर भागने वाले एनआरआई ओसीआई दूल्हे की अब खैर नहीं- लॉ कमीशन ने की रिपोर्ट सौंपी।भारत की बेटियों से वैवाहिक धोखाधड़ी करने वाले एनआरआई और ओसीआई को भारतीय कानूनों के सख्त दायरे में लाना समय की मांग है। 

— किशन सनमुखदास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया