विज्ञान

इसरो की अंतरिक्ष में फिर बड़ी छलांग 

वैश्विक स्तरपर भारत हर क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का अपना जलवा बिखेर रहा है जिसमें भारतीय विजन आत्मनिर्भर भारत को पंख लग गए हैं। जिस तेजी से भारत के मिशन 2047 और मिशनआत्मनिर्भर भारत को पूर्ण करने के जज्बे को देख पूरी दुनियां हैरान है खास करके अंतरिक्ष क्षेत्र में दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच कर भारत में जो दम दिखाया उसे उसे पूरी दुनिया ने रेखांकित किया है और आज दिनांक 17 फरवरी 2024 को फिर इसरो ने अंतरिक्ष में एक लंबी चलांग लगाई है,  जिस पर पूरी दुनियां स्तब्ध है इसरो ने सबसे एडवांस मौसम सैटेलाइट की सफल लॉन्चिंग  करके इतिहास रच दिया है, क्योंकि वर्तमान जलवायु परिवर्तन के युग में मौसम व आपदा का कोई भरोसा नहीं है की किस तरह तबाही का आलम पैदा कर दे इसलिए यह जरूरी है कि इसके प्रकोप से बचने के लिए विशेष प्रौद्योगिकी के जरिए इसका पूर्व अनुमान लगाना अनिवार्य हो गया है ताकि संभावित प्राकृतिक प्रकोप से मानवीय जीवन सहित पूरी पृथ्वी को बचाने के लिए इसकापूर्वानुमान ज्ञात किया जाए ताकि आपदाओं से निपटने के लिए पर्याप्त समय लिया जा सके, मानवीय जीव को उठाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा जा सके और उनकी जान बचाई जा सके इसके लिए एडवांस मौसम सैटेलाइट जबरदस्त रोल अदा करेगी। चुंकि इसरो ने इस एडवांस सैटेलाइट का सफल प्रदेश प्रक्षेपण कर दिया है, इसलिए आज हम पीआईबी और मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारतीय मौसम अपडेट व आपदा से जुड़ी जानकारी में महारत करने सहित अंतरिक्ष बादशाह बनने के संकल्प से हर भारतीय गौरवविंत है। 

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित प्रक्षेपण यान जीएसएलवी-एफ14 पर उपग्रह इन्सैट-3डीएस को आज शाम 17:30 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा सफलता पूर्वक प्रक्षेपित (लॉन्च) किया गया।इन्सैट (आईएनएसएटी) – 3डीएस वर्तमान में संचालित आईएनएसएटी (इन्सैट) -3डी तथा  आईएनएसएटी (इन्सैट)-3डीआर इन-ऑर्बिट उपग्रहों के साथ देश की मौसम संबंधी (मौसम, जलवायु और महासागर संबंधी) सेवाओं को बढ़ाएगा। नए लॉन्च किए गए आईएनएसएटी (इन्सैट)-3डीएस उपग्रह का उद्देश्य पृथ्वी की सतह, वायुमंडल, महासागरों और पर्यावरण की निगरानी को बढ़ाना, डेटा संग्रह और प्रसार और उपग्रह-सहायता प्राप्त खोज और बचाव सेवाओं में क्षमताओं को बढ़ाना है। यह पहल भारत के मौसम,जलवायु और महासागर से संबंधित टिप्पणियों और सेवाओं को बढ़ावा देगी, ज्ञान का विस्तार करेगी और भविष्य में बेहतर आपदा शमन और तैयारियों को और अधिक बढ़ावा देगी।

इंसेट-3डीएस सैटेलाइट से जुड़ी खास बातें- इनसेट-3 डीएस भारत का तीसरी पीढ़ी का एडवांस मौसम सैटेलाइट- ये मौसम की भविष्यवाणी और आपदा चेतावनी के लिए मॉडर्न सैटेलाइट है-मौसम संबंधी अपडेट, जमीन और महासागर के सतहों की निगरानी के लिए किया गया डिजाइन- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के विभिन्न विभाग जैसे भारत मौसम विज्ञान विभाग, राष्ट्रीय मध्यम-सीमा मौसम पूर्वानुमान केंद्र, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र और अन्य एजेंसियां, संस्थान इसका डेटा इस्तेमाल करेंगे- इनसेट-3 डीएस बेहतर मौसम पूर्वानुमान और इससे संबंधी सर्विस प्रदान करने में हेल्प करेगा।- इस सैटेलाइट को बनाने में भारतीय उद्योगों का अहम योगदान-इनसेट-3डीएस में छह चैनल इमेजर, 19 चैनल साउंडर पेलोड, डेटा रिले ट्रांसपोंडर (डीआरटी) और सैटेलाइट सहायता प्राप्त खोज और बचाव (एस ए & एस आर) ट्रांसपोंडर हैं।- 51.7 मीटर लंबे और 420 टन वजन वाले तीन फेज के जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी एफ 14) रॉकेट से लॉन्चिंग- इस मिशन को जीएसएलवी-एफ14 नाम दिया गया। 

इसरो ने कहा कि मिशन के प्राथमिक उद्देश्य हैं: पृथ्वी की सतह की निगरानी करना, मौसम संबंधी महत्व के विभिन्न वर्णक्रमीय चैनलों में समुद्री अवलोकन और उसके पर्यावरण को पूरा करना; वायुमंडल के विभिन्न मौसम संबंधी मापदंडों की ऊर्ध्वाधर प्रोफ़ाइल प्रदान करना; डेटा संग्रह प्लेटफार्मों (डीसीपी) से डेटा संग्रह और डेटा प्रसार क्षमताएं प्रदान करना; और उपग्रह सहायता प्राप्त खोज और बचाव सेवाएं प्रदान करना। यह उपग्रह वर्तमान में कार्यरत इनसैट-3डी और इनसैट-3डीआर उपग्रहों के साथ-साथ मौसम संबंधी सेवाओं को भी बढ़ाएगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत विभिन्न विभाग जैसे भारत मौसम विज्ञान विभाग, राष्ट्रीय मध्यम-सीमा मौसम पूर्वानुमान केंद्र, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र और विभिन्न अन्य एजेंसियां और संस्थान बेहतर मौसम पूर्वानुमान तथा मौसम संबंधी सेवाएं प्रदान करने के लिए इनसैट-3डीएस उपग्रह डेटा का उपयोग करेंगे। मौसम अपडेट, आपदा को लेकर करेगा अलर्टइसरो ने कहा कि 2,274 किलोग्राम वजनी ये उपग्रह मौसम से जुड़े सटीक अपडेट में हेल्प करेगा। मौसम के साथ-साथ आपदा को लेकर भी अलर्ट जारी करेगी।ये सैटेलाइट इमरजेंसी सिग्नल सिस्टम की जानकारी देगा, जिससे राहत और बचाव कार्य में सहयोग हो सकेगा। ये सैटेलाइट खास तौर पर भारतीय मौसम विज्ञान विभाग यानी आईएमडी और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत विभिन्न विभागों को सेवा प्रदान करेगा। इसरो का इस साल ये दूसरा मिशन श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर पर जैसे ही सैटेलाइट का प्रक्षेपण हुआ, वहां देखने के लिए जुटी भीड़ ने रॉकेट के रवाना होने पर तालियां बजा के खुशी जताई। इनसेट-3डीएस सैटेलाइट इस सीरीज की तीसरी पीढ़ी का सैटेलाइट है। एक जनवरी को पीएसएलवी-सी58/एक्सपोसेट मिशन के सफल प्रक्षेपण के बाद 2024 में इसरो के लिए यह दूसरा मिशन है। 

— किशन सनमुखदास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया