ठुकराया जो तेरा दामन
ठुकराई तेरा मोहब्बत-ए दामन जब , तब जीना आया था
समझी जिंदगी कीमती तब जब मुझे भी जीना भाया था ।।
मानती मोहब्बत-ए राह मे मोहब्बत बड़ी , हसीन होती है
टूटी मोहब्बत-ए राह में , इस राह ने मुझे खूब रुलाया था।।
खुद से अधिक मोहब्बत को , अहमियत देना न कोई
मेरी जिंदगी ने मुझे खुद को अहमियत देना सिखाया था।।
कहने कि ही बातें होती लोग मोहब्बत में जान भी दे जाते
इस मोहब्बत ने मेरी ही सॉंसें लील मुझे तो मार गिराया था।।
मोहब्बत-ए राह मे दर्द पाकर मैं वीणा खो गई थी कहीं
दर्द भरे वक्त से लड़ मैंने आज खुद का वजूद पाया था।।
— वीना आडवाणी तन्वी