मैं जलता रहा
दीपक बन मैं जलता रहा,
अधंकार को दूर करता रहा,
जिंदगी की उलझनों में उलझा रहा,
हर पल एक नई जंग लड़ता रहा,
जीवन के संघर्षों से लड़ता रहा,
उनसे खुद को मैं उभारता रहा,
पथरीली राहों पर मैं चलता रहा,
मन से तिमिर को मिटाता रहा,
अंधरे में प्रकाश फैलाता रहा,
सभी को खुशियां देता रहा,
मन में आत्मविश्वास जगाता रहा,
दीपक बन मैं जलता रहा.[….]
— पूनम गुप्ता