भौंरा
गुन गुन करता, भौंरा आया
फुल कलियों मे है मंडराया
मधु मकरंद होठो से लगाया
छुपके फूलों से नेह लगाया।
तितलियाँ-
रंग-बिरंगी तितलियाँ है आयी
फुल-कली के, मन को भायी
है कुछ शर्मिलि कुछ शरमाई
पर!मीठी सी अहसास जगाई।
बाग़-बगीचा-
बाग़-बगीचा भी है, मुस्काया
सौरभता कण-कण में छाया
आम्र तरुवर अब सज आया
ऋतू वसंत का संदेशा आया।
कोकिला-
बहने लगी है शीतल पुरवाई
सौरभता अपने साथ में लाई
कोकिला मीठी कुक है लगाई
जैसे अमराई मे गुंजी शहनाई।
— अशोक पटेल “आशु”