बाल कविता

भौंरा

गुन गुन करता, भौंरा आया
फुल कलियों मे है मंडराया
मधु मकरंद होठो से लगाया
छुपके फूलों से नेह लगाया।

तितलियाँ-

रंग-बिरंगी तितलियाँ है आयी
फुल-कली के, मन को भायी
है कुछ शर्मिलि कुछ शरमाई
पर!मीठी सी अहसास जगाई।

बाग़-बगीचा-

बाग़-बगीचा भी है, मुस्काया
सौरभता कण-कण में छाया
आम्र तरुवर अब सज आया
ऋतू वसंत का संदेशा आया।

कोकिला-

बहने लगी है शीतल पुरवाई
सौरभता अपने साथ में लाई
कोकिला मीठी कुक है लगाई
जैसे अमराई मे गुंजी शहनाई।

— अशोक पटेल “आशु”

*अशोक पटेल 'आशु'

व्याख्याता-हिंदी मेघा धमतरी (छ ग) M-9827874578