गीतिका
सौंदर्य का प्रभुत्व प्यारा।
जग से न्यारा देश हमारा।
अभिवादन करता अरूणोदय।
दरिया पर्वतों में ज्ञानोदय।
धरती नो अतिरूप सँवारा।
जग से न्यारा देश हमारा।
जन्नत जैसी दृश्यानलियां।
रिश्तों में है खुशबू कलियां।
अविभाज्य है मौसम सारा।
जग से न्यारा देश हमारा।
विभिन्न रंगों के इन्द्र धनूष।
रिश्तों को संग्रह है मनुष्य।
अनिवर्चनीय आंनद उतारा।
जग से न्यारा देश हमारा।
बालम यह है वैकुण्ड मनोहर।
देवालय, जाहनवी सरोवर।
उत्सव की है भूमि सारा,
जग से न्यारा देश हमारा।
— बलविंदर बालम