कविता

खिलता यहां मधुमास है

भीनी -भीनी गंध है।

 मस्त बयार के संग है

 फूलो की सुगंध में

झुलता बसंती रंग है।

कवियों को देखो तो आज,

नए लिखे छंद है।

साजन को देखो तो आज, 

सजनी उसके सँग है।

प्रकृती में बदलाव का,

अद्‌भूत ‌अनोखा ढंग है।

वसुन्धरा ने ओढ़ा अपना, 

नव रंगों का सतरंग है।

 गुल खिल गुलशन खिला,

 खिलता यहाँ मुधुमास है।

आसमान भी डोरे डाले,

 धरती का श्रृंगार  है।

फागुन की अगवानी में,

जन-मन धूम मचाए  है।

हर किसी की मस्ती देखो,

क्या रंग! क्या रूप है!

जीवन के दुःख दर्द को भूले

जानकर के हम दंग है।

— डॉ. कान्ति लाल यादव

डॉ. कांति लाल यादव

सहायक प्रोफेसर (हिन्दी) माधव विश्वविद्यालय आबू रोड पता : मकान नंबर 12 , गली नंबर 2, माली कॉलोनी ,उदयपुर (राज.)313001 मोबाइल नंबर 8955560773