गीत/नवगीत

गीत

प्रतिभा-प्रतिष्ठा में प्राण।

जाग उठा है हिन्दुस्तान।

            ममता क्षमता समता प्रबल।

            जैसे बहता निर्झर निर्मल।

            स्वतंत्र-गणतंत्र की पहचान।

            जग उठा है हिन्दुस्तान।

अहिंसक सत्याग्रह पूर्णता।

अमर तिरंगे में अर्पिता।

गाया वंदे मातरम गान।

जाग उठा है हिन्दुस्तान।

            तीरथ धाम समन्दर जंगल।

            जीवंत अभिलाषा में मंगल।

            मातृ भूमि की पहचान।

            जाग उठा है हिन्दुस्तान।

उन्नति के अम्बार बड़े हैं।

इस के पीछे संसार खड़े हैं।

इस से तन मन धन कुर्बान।

जाग उठा है हिन्दुस्तान।

            मार्मिक चित्र सुन्दर गांव।

            धूप हवा और ठंडी छांव।

            सब रंग के राही मेहमान।

            जाग उठा है हिन्दुस्तान।

आंधी में भी दीप जले हैं।

पत्थर शबनम बीच डले हैं।

मनवता में है भगवान।

जाग उठा है हिन्दुस्तान।

            निर्धन के घर लौ होती है।

            प्यास बुझा कर मां सोती है।

            सूरज जैसे हैं अरमान।

            जाग उठा है हिन्दुस्तान।

चांद में जाकर पैर जमाए।

जग में सर्वोतम कहलाए।

ऋषियों-मुनियों का वरदान।

जाग उठा है हिन्दुस्तान।

            विभिन्न धर्मों का गुलदस्ता।

            एक ही खुशबू वाला रस्ता।

            सौभ्य संस्कृति है महान।

जाग उठा है हिन्दुस्तान।

बालम शक्ति भक्ति युक्ति।

सूयोदिय सा हर इक व्यक्ति।

आराध्य तप बल का ईमान।

जाग उठा है हिन्दुस्तान।

— बलविंदर बालम

बलविन्दर ‘बालम’

ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब) मो. 98156 25409