खुशियों की होली
रंग प्रीत की सज गई आज।
है खुशियों की होली।।
उड़े गगन में तितली जैसे,
मंजुल दिखे नजारे।
रंग देख पुलकित हैं सारे।
करते हँसी ठिठोली।।
पायल मेरी शोर मचाती,
नयना काजल आँजे,
राह ताकती तेरी साजन,
यौवन तुझसे साजे,
हिय तरसे बातें सुनने को,
मधुरस तेरी बोली।।
सतरंगी नभ छटा बिखेरी,
चली आज पिचकारी।
रक्तिम से दिखते कपोल सब,
हो कारी या गोरी।।
प्रीत रगों में घुला आज जस,
दूध भांग की गोली।।
व्याकुलता मन में छाई है,
अगन लगी है काया,
करो स्वप्न साकार आज तुम,
अवसर है यह आया।।
आओ साजन! रंग लगाओ,
भीगे मेरी चोली।।
है खुशियों की होली।
है खुशियों की होली।।
— प्रिया देवांगन “प्रियू”