आ कर हमारे ख़्वाबों में
आ कर हमारे ख़्वाबों में – हमारी बे ख़ुदी को बढ़ा दिया
ताबीर से हमारे ही ख़्वाबों की – हमारी उमीदों को जगा दिया
नूर आप ही की मोहब्बत का – छाया हुआ है पूरी फ़ड़ा में
हर फूल पता इस चमन का – शबनम के मोतियों से नहा लिया
जानता हूं मैं आप के किरदार को- बुहत ही अछी तरा से
मोहब्बत के जज़बे के शौक़ में – सर हम ने सजदे में झुका दिया
बिन बताए ही आप ने – समझ लिया हमारे दिल के दर्द को
बिना इबादत के ही आप ने – हम को हमारे ख़ुदा से मिला दिया
मरने के लिये इस दुनिया मे – तरीके और भी बुहतनहैं
नाम बे चारी ज़हर का तो यूं ही – बे वजाह बदनाम हो गिया
इन्तखाब के हमारे शौक़ ने – धोखा हमें दे दिया
ना चाहते हुए भी हम ने – ख़ुदा आप को अपना बना लिया
क़ब्र से भी कम जगह चाहिये – हम को तो सोने के लिये
चोट लगी हमारे सर पर – पाओं जब हम ने फैला दिया
अदावत में एक दूसरे की – इस क़दर मशग़ूल हो गैये हम
ग़फ़लतों को अपनी ही हम ने – मजबूरी ही अपनी बना लिया
उजालों की वैसे तो कोई – कमी नही थी हमारी ज़िनदगी में मदन
मगर रौशनी बढ़ाने के लिये राहों की – घर हम ने अपना ही जला दिया
मुमकिन है इस के बाद फिर कभी – मुलाकात हमारी हो ना हो
इस लिये इस मुलाकात को हम ने – मुलाकात ज़िनदगी की बना दिया
— मदन लाल