सामाजिक

चिंता है आपको, तो बन जाओ बाथरूम सिंगर 

मानव फितरत उफ़ अब क्या बताऊं इस मानव फितरत का , क्यों कि मैं भी इसी फितरत के अंतर्गत ही तो आती हू्ॅं । मैं कोई स्वर्ग से उतरी वीआईपी तो नहीं जो मुझमें यह फितरत नहीं समाई हो । मैं भी उन सभी आम इंसानों की श्रेणी में आती हू्ॅं जब सब कुछ बेहतर चल रहा जिंदगी में फिर भी जबरदस्ती का टेंशन लेना । अब देखिये ना दूसरी फितरत ये बहुत बुरी है कि कभी भी ये नहीं मानते की जो जिंदगी में हो रहा वो आपके बेहतर के लिये ही हो रहा है । मगर हॉं ! जब दूसरों को सलाह देनी हो तो फोकट में सलाह देते फिरते की जो होता है अच्छे के लिये होता है परंतु कभी खुद पर इस बात को लागू नहीं करते । सच सही कहा जाता है दूसरों को सलाह देना बहुत सरल है परंतु जब खुद पर आंच आ जाए तो चिंताओं से खुद को घेर लेते हैं उन्हें देखकर दूसरे हमदर्द बन बस हमदर्दी जता ये सोचते की इनसे ज्यादा उदास या दुखी कोई है ही नहीं । खैर जब खुद पर कोई दुःखद आप बीती होती तो चेहरा , आंखें और आंसूं बोल ही देते आपकी व्यथा ।

कुछ लोग तो मुंह पर हमदर्दी जताते , परंतु पीठ पीछे मखौल उड़ा कहते वैसे तो दूसरों को बड़ा समझाता या समझाती फिरती थी या था । अब खुद पर बला आई तो समझ आया इसको की दुःख क्या होता है । क्यों हम मानव इस फितरत के आधीन हो इस फितरत के गुलाम ही हो जाते हैं । दरअसल आज इस विषय पर कलम मुझे रोके ना रोक पा रही लिखने से । कलम को रोका तो जज़्बात एक टीस की तरह चुभ रहे और जज़्बात ही मेरे ताने दे रहे की लिख अब क्यों नहीं लिखती तू । बस जज़्बात , कलम ही हैं जो मुझे आज मेरी ही भावनाओं को जो निहायती चिंता से ग्रसित हैं उन्हें लिखने के लिये आमदा कर आतूर कर दिये । 

दरअसल जिंदगी है और इस जिंदगी में कम ज्यादा तो चलता ही रहता है खट्टी-मीठी सी भरी जिंदगी में अगर कुछ पल ही सही कड़वा स्वाद आ जाए तो , मुंह का जायका ही जैसे बिगड़ जाता है । ठीक उसी तरह मेरी जिंदगी में भी वो खट्टे मीठे पल संग कुछ देर का कसारा पन भी आया तो खुद को इस कदर चिंताओं से घिरा महसूस किया लगा की जैसे मैं ही दुनिया की सबसे चिंतित महिला हूॅं । जब की जब कभी मेरी सखियां अपनी कोई भी बात अपना समझ मुझ संग साझा करती तो उन्हें लम्बे-लम्बे उपदेश दे समझाती फिरती तर्क संग । खैर यदि किसी को अगर आपसे अपने दिल का हाल साझा कर सुकून मिलता तो जरूर इतमिनान से सुन सही सुझाव‌ देकर मार्गदर्शन करना ही मानवता धर्म है । मैं अपनी ही नहीं बल्कि समस्त सृष्टि में बसर करने वाले इंसानों की बात कर रही जो की बहुत समझदार होने के बावजूद दूसरों का मार्गदर्शन करने की काबिलियत रखने वाले जब खुद पर आपबीती आती तो क्यों लड़खड़ा जाते । कहॉं चली जाती उस समय उनकी काबिलियत ? क्यों वो खुद पर भी चिंतामुक्त रहने के नियम  को लागू नहीं कर पाते । 

अब यहॉं तो सृष्टि के अंतर्गत कुछ ऐसे इंसानों की श्रेणी से भी वाकिफ हूॅं जो सर्व सुख सुविधाओं से परिपूर्ण हैं जिनकी जिंदगी में दुःख दर्द क्या होता उन्हें पता तक नहीं होता । ऐसा लगता की दुःख तो इनके लिये बना ही नहीं है । जैसे भगवान ने इनका जन्म सिर्फ और सिर्फ सुखों को भोगने वासते ही किया हो । फिर भी ऐसे बहुत से इंसा हैं कि खुद को चिंताओं से घिरा हुआ ही मानते थे या यूॅं कह लो जबरदस्ती का चिंताओं से खुद को घेरे रखना आदत सी बन गयी हो इनकी ।

इंस्टाग्राम पर आज जब यूंही समय बिताने के लिए बस रील पर रील देखें जा रही थी । पता है बहुत सी रील ऐसी भी होती जो बहुत ही ज्ञानवर्धक होती और उन्हीं रीलों में से हम लेखकों को भी लिखने का कभी-कभी कोई न कोई विषय मिल ही जाता । उसी तरह मेरी भी एक रील पर आकर नज़र टिक गयी वो रील जानते हैं किसके ऊपर बनी थी वो इंसा जो दुनिया के दिलों में राज़ करता था मशहूर पॉप सिंगर मॉइकल जैक्सन के ऊपर जिसके अंतर्गत ये बताया गया था बेशुमार दौलत , नाम से नवाजे गये माइकल जैक्सन को सदैव अपने ही मौत की या यूं कह लो जिस्म़ की चिंता रहती थी उन्हें अपनी जिंदगी से बहुत ही प्यार था । जो चाहते थे जीना जिसके लिए उन्होंने अनगिनत सेवा में डाक्टर वगैरह-वगैरह की टीम लगा रखी थी जो पैसा भरपूर लुटाते ताकी बस उन्हें कोई नुक्सान न हो परंतु होनी को भला कौन टाल सकता । बहुत ही कम उम्र में मौत ने उन्हें अपने आगोश में समा लिया अब बताइए मेरा ये मानना है की ये मौत उनकी सामान्य मौत नहीं कही जाएगी बल्कि उन्होंने सब कुछ होने के बावजूद जबरदस्ती एक नहीं अनेक चिंताओं से अपने आस-पास एक चक्रव्यूह बना लिया था और उनके ही बनाये गये उस चक्रव्यूह ने ही उनको घेर कर उनके प्राणों को हर लिया । इसलिए कहते चिंता चिता समान और जो होना है वो होके ही रहेगा फिर क्यों चिंता करते हैं । इसलिए खुश रहे आबाद रहे चिंता नामक घातक हथियार अगर कभी वार करे आपके ऊपर और वो हावी होना चाहे तो वो संगीत या गाना सुने आप जो सबसे अधिक पसंदीदा हो आपका और बाथरूम सिंगर ही सही , बाथरूम सिंगर बन जोर-जोर से साथ में गाएं । नज़र अंदाज़ कर दें की कौन क्या कहेगा या क्या सोचेगा । क्यों कि चिंता आपके शरीर को नुक्सान पहुंचाएगी सोचने वाले के शरीर पर नहीं । तो आज से चिंता को कहें बाय-बाय । 

— वीना आडवाणी तन्वी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित