मां बाप
किस्मत वालों को मिलता है साथ इनका
कितना अभागा होगा वो जो इंतजार में हैं
नफ़रत और दुश्मनी में क्या रक्खा है
जो मिठास भाईचारे और प्यार में है
चलना सिखाते हैं
बोलना सिखाते हैं
एक ज़रा सी चोंट परअब भी प्यार से सहलाते हैं
इसलिए तो घर घर लगता है
मां बाप भगवान कहलाते हैं
जहां हो छत्रछाया इनकी
वो मुकाम मैं पाना चाहूंगा
मुझे मिलेगा एक बूंद प्यार तो
मैं उसमें डूब जाना चाहूंगा
— प्रवीण माटी