खामोश आशीर्वाद
“सीमा, अचानक खामोश क्यों हो गई हो बिटिया? वीरता से दुश्मन का सामना करते हुए रंजन की वीरगति ही कहीं इस खामोशी का कारण तो नहीं है?” शहीद हुए वीर रंजन की वीर माता ने पूछा.
सीमा की खामोशी बरकरार थी. सासू मां की सवालिया नजर अभी भी उस पर थी. सीमा की उदासी उनसे देखी नहीं जा रही थी.
“यह खामोशी दुःख या उदासी की नहीं है मां जी, यह संकल्प के सुदृढ़ होने की सहज प्रक्रिया है.”
“कौन-सा संकल्प?”
“रंजन के रिक्त स्थान की अब उनकी सीमा पूर्त्ति करेगी.”
सीमा से असीम हुई बहूरानी के सिर पर सासू मां ने हाथ रखकर खामोश आशीर्वाद दे दिया.
— लीला तिवानी