लघुकथा

खामोश आशीर्वाद

“सीमा, अचानक खामोश क्यों हो गई हो बिटिया? वीरता से दुश्मन का सामना करते हुए रंजन की वीरगति ही कहीं इस खामोशी का कारण तो नहीं है?” शहीद हुए वीर रंजन की वीर माता ने पूछा.
सीमा की खामोशी बरकरार थी. सासू मां की सवालिया नजर अभी भी उस पर थी. सीमा की उदासी उनसे देखी नहीं जा रही थी.
“यह खामोशी दुःख या उदासी की नहीं है मां जी, यह संकल्प के सुदृढ़ होने की सहज प्रक्रिया है.”
“कौन-सा संकल्प?”
“रंजन के रिक्त स्थान की अब उनकी सीमा पूर्त्ति करेगी.”
सीमा से असीम हुई बहूरानी के सिर पर सासू मां ने हाथ रखकर खामोश आशीर्वाद दे दिया.
— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244