मनोबल
विश्वविद्यालय के वार्षिक छात्र संघ चुनाव में विजय जी की विजय हो गई थी. सब उन्हें जीत की बधाई दे रहे थे और विजय जी हाथ जोड़कर सबकी बधाइयां स्वीकार कर रहे थे. इसके साथ ही अपनी जीत का श्रेय अपने साथी मनोज को दे रहे थे, जिसके एक ही वाक्य से उसका मनोबल वर्धित हो गया था-
“विजय, तुम चुनाव लड़ने में इतना संकोच क्यों कर रहे हो! मध्यम वर्गीय परिवार से हो तो क्या हुआ, पढ़ाई में, खेल-कूद में, गीत-संगीत में, व्यवहार-विनम्रता में और सबसे बड़ी बात है अपने पक्ष को तर्कसंगत रूप से रखने में माहिर हो. हर तरह से लायक हो, खड़े हो जाओ.”
आज भी जीत की बधाई देकर मनोबल बढ़ाए रखने में मनोज सबसे आगे खड़ा था.
— लीला तिवानी