पाती प्रियवर क्यों लिखे
क्यों लिखोगे खत हमको,
जब दिल में तेरे हैं हरदम|
एहसास में मेरे हर वक्त हो,
धड़कन मेरी हो तुम हमदम|
दृगों के कोरों पर जो थम गई,
उन अश्रु को तुम बहने दो|
इश्क में वादा क्या करना
तुम मेरे हो बस रहने दो|
तुम कृष्ण बनो और मैं राधा,
ऐसी मेरी कोई ख्वाहिश नहीं|
मैं हिचकी लूँ तुम याद करो,
इससे ज्यादा कोई नुमाइश नहीं|
हार चुकी हूँ दिल अपना,
पर इस हार में भी जीत गई|
मेरा मुझमें कुछ नहीं रहा,
तेरे रंग में ही रंग गई|
— सविता सिंह मीरा