कविता

ईमानदारी का इतिहास बनाना है

अभी अभी एक नेता जी का फोन
अपने सबसे ईमानदार नेता के पास आया,
बिना दुआ सलाम के
खूब चीखने चिल्लाने और धमकाने लगा,
तू खुद को बहुत होशियार समझता है
बाकी सब क्या तुझे बेवकूफ लगते हैं?
ईमानदार नेता ने संयम, ईमानदारी से जवाब दिया
जिंदगी में पहली बार तूने पते की बात की है
अपनी इतनी दुर्दशा देखने बाद
अब जाकर तेरी आंख खुली है।
पर अब तू चिंता बिल्कुल मत कर
होली में मैं खुद तुझे बड़ा सरप्राइज़ देने वाला हूँ,
होली की बधाई देने और रंग खेलने
होली से पहले तेरे पास आने वाला हूँ।
दोनों मिलकर जमकर होली खेलेंगे
एक दूजे का जी भरकर दु:ख दर्द सुनेंगे,
बहुत तंग आ गया ईडी, सीबीआई से
अब तेरी कोठरी से ही सरकार चलाने वाला हूँ।
तू भी क्या याद रखेगा
किसी ईमानदार से पाला पड़ा है,
आज के जमाने में भला तू ही बता
कौन किसका हाल चाल पूछने वाला है?
बस यार! औथोड़ा और सब्र कर
चुनाव की तारीख थोड़ा और पास आने का इंतजार कर,
फिर तेरे पास आकर साथ मिल बैठकर सोचूंगा
कि तेरी कोठरी में रहकर कैसे सरकार चलाना है।
जिसे चुनाव लड़ना है अपने दम पर लड़ ही लेगा
प्रचार के बाद क्या हार का ठीकरा
अपने सिर फुड़वाना है।
अपनी ईमानदारी को क्या दाग लगाना है?
अपनी ईमानदारी की कसम खाकर कहता हूँ,
तू मेरा सबसे प्यारा यार है
आखिर ये रिश्ता भी तो निभाना है।
कुछ भी हो, कैसे भी हो
बस अंतिम बार मुझ पर इतना तो एतबार कर ले
होली से पहले निश्चित ही
मुझे तेरे पास हर हाल में आना है,
कसम कुर्सी की तेरी कोठरी में ही आसन जमाना है।
होली का सुरक्षित हुड़दंग मचाना है
और दो दो पैग लेने के बाद सोचेंगे
कि आगे की रणनीति कैसे बनाना है,
आखिर राजनीति का पाठ मैंने तुझसे ही तो जाना है,
शीश महल हो या तेरी सुरक्षित कोठरी
सुर्ख़ियों में रहकर हम दोनों को ही नाम कमाना है,
राजनीतिक ईमानदारी का इतिहास बनाना है,
इसके लिए होली से बेहतर न कोई बहाना है।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921