लघुकथा

लघुकथा – नई पारी 

पेड़ को नई कोंपलों से भरा देख अंकुर चकित हो गया। दस दिन पहले तक पेड़ में एक भी पत्ता नहीं था।

लॉक डॉउन में मुंबई से किसी तरह  गाँव आया था अंकुर खाली हाथ, नौकरी गँवाकर।  तीस वर्षीय अंकुर को अपनी जिंदगी बोझ- सी लग रही थी। लेकिन  प्रकृति के इस सुनहरे बदलाव ने उसके दिमाग में कुछ नया लिख दिया।

“निराश नहीं होना है। मेहनत और धीरज से जिंदगी की नई पारी शुरू करनी है।” अंकुर ने अपनी डायरी में लिखा।

— निर्मल कुमार दे

निर्मल कुमार डे

जमशेदपुर झारखंड [email protected]