ये दुनिया तो एक रंगमंच है
ये दुनिया तो एक रंगमंच है यारो।
जो अपना है वो आएगा ज़रूर;
और किसी को चाहे कितना पुकारो।
बस भीड़ से ही न बनती बात।
सच्चा हितेषी हो जब शामिल;
हरदम रहता संग हो जैसे हालात।
अपना -अपना किरदार निभाना है।
किसी से मिलना और यूं बिछड़ना;
जब समय खत्म फिर सबने जाना है।
जाने कितने अनसुलझे सवाल है।
जब पता है सबको आखिरी सत्य;
फिर क्यों छोड़ जाने का मलाल है।
ये दुनिया तो एक रंगमंच है यारो।
निभाओ अपना किरदार फिर ऐसे;
नम आँखों से करे कोई याद प्यारो।
— कामनी गुप्ता