स्वास्थ्य

अधे़ड़ावस्था में व्यायाम

अधेड़ावस्था के व्यक्तियों से हमारा तात्पर्य 45 से 65 वर्ष तक की उम्र के ऐसे लोगों से है, जिनका शरीर बहुत निर्बल नहीं हुआ है और जो भली प्रकार चल-फिर सकते हैं। ऐसे व्यक्तियों को अपने आहार की तरह व्यायाम के चुनाव में भी सावधानी रखनी पड़ती है, क्योंकि अब वे युवा नहीं रहें, इसलिए हर तरह का व्यायाम करने की शक्ति उनमें नहीं होती।

अधेड़ावस्था के लोगों को अपना बल बढ़ाने की नहीं, बल्कि उसे बनाये रखने और शरीर को सक्रिय रखने की आवश्यकता होती है। इस उम्र में मोटापा आने की संभावना सबसे अधिक रहती है, क्योंकि उनकी शारीरिक फुर्ती कम हो जाती है और आलस्य अधिक आता है। इसलिए उनको ऐसे व्यायाम करने चाहिए, जिनसे पूरा शरीर सही तरह कार्य करता रहे और शरीर की फुर्ती बनी रहे, परन्तु अधिक थकान न हो।

इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए अधेड़ावस्था के लोगों के लिए आदर्श व्यायाम का चार्ट निम्न प्रकार हो सकता है-

1. टहलना- यह सबसे अच्छा व्यायाम है, जिससे शरीर लगातार सक्रिय बना रहता है और अधिक थकान भी नहीं होती। इसलिए सभी को प्रतिदिन 20 से 30 मिनट अवश्य टहलना चाहिए। टहलना किसी पार्क में या समुद्र, नदी या तालाब के किनारे किया जाये, तो सर्वश्रेष्ठ है, नहीं तो अपने घर की छत पर भी टहला जा सकता है या किसी ऐसी सड़क पर जहाँ यातायात का प्रदूषण न हो। टहलते हुए यदि थकान हो जाये, तो वहीं रुक जाना चाहिए।

2. अंग व्यायाम- इसके अन्तर्गत हमारे शरीर के जितने भी प्रमुख अंग या जोड़ हैं, उनका अलग-अलग व्यायाम किया जाता है, जैसे मुख, ग्रीवा, रीढ़, कमर, हाथ, और पैर। इनके विशेष व्यायाम होते हैं, जो यद्यपि देखने में बहुत साधारण हैं, लेकिन बहुत प्रभावी होते हैं। सभी अंगों के व्यायाम करने में लगभग 20-25 मिनट लगते हैं और थकान बिल्कुल नहीं होती। इसलिए टहलने के बाद कुछ विश्राम करके अंग व्यायाम कर लेने चाहिए। इनमें कमर के व्यायाम खड़े होकर, रीढ़ के व्यायाम लेटकर और शेष सभी व्यायाम बैठकर किये जाते है।

3. योगासन- जो लोग योगासनों में रुचि रखते हैं वे अंग व्यायाम के स्थान पर योगासन कर सकते हैं। अधेड़ावस्था में ऐसे आसनों का चुनाव करना चाहिए, जो सरलता से किये जा सकें और जिनमें शरीर को कष्ट न हो। ऐसे कुछ आसन हैं- पवनमुक्तासन, भुजंगासन, पश्चिमोत्तानासन, धनुरासन, मण्डूकासन, ताड़ासन, अर्द्धमत्स्येन्द्रासन आदि। सभी आसनों के बाद 5 मिनट शवासन अवश्य कर लेना चाहिए, ताकि थकान मिट जाये। आप कुछ आसन और कुछ अंग व्यायाम भी कर सकते हैं।

4. प्राणायाम- सभी व्यायामों के बाद कुछ मिनट तक प्राणायाम अवश्य करने चाहिए। आप अपनी रुचि के अनुसार प्राणायामों और उनमें लगने वाले समय का चुनाव कर सकते हैं। कुछ प्रमुख प्राणायाम हैं- भस्त्रिका, कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, चन्द्रभेदी, सूर्यभेदी आदि। ये प्राणायाम किसी जानकार व्यक्ति से सीखकर ही करने चाहिए।

5. ताली बजाना- अन्त में 200 से 500 बार दोनों हाथों से तालियाँ अवश्य बजानी चाहिए। इनसे पूरे शरीर को लाभ होता है और बहुत से रोगों से बचाव होता है।

अधेड़ावस्था में कभी भी दौड़ने, कूदने, दंड बैठक आदि कठिन व्यायाम शुरू नहीं करने चाहिए। यदि आप पहले से ये करते हैं, तो अपनी शक्ति के अनुसार करते रह सकते हैं, परन्तु इस अवस्था में शरीर के साथ अधिक प्रयोग नहीं करने चाहिए।

यह बताना आवश्यक है कि आसन और व्यायाम सही विधि से करने चाहिए। ग़लत तरीक़े से करने पर उनसे लाभ तो कुछ होगा नहीं और हानि भी हो सकती है। मेरी पुस्तिका ‘स्वास्थ्य रहस्य’ में ऊपर बताये गये सभी आसनों और व्यायामों की जानकारी और विधि दी गयी है। आप उसमें पढ़कर सीख सकते हैं और सरलता से कर सकते हैं। यहाँ मैं एक लिंक दे रहा हूँ जिससे आप इस पुस्तिका को डाउनलोड कर सकते हैं।

https://drive.google.com/…/10dYD1b9WFmA5…/view…

इनमें से बहुत से व्यायामों के वीडियो भी उपलब्ध हैं। उनको आप मेरे यूट्यूब चैनल पर देख सकते हैं। इस चैनल का लिंक नीचे दे रहा हूँ।

https://www.youtube.com/@drvijaykumarsinghal9443

— डॉ. विजय कुमार सिंघल

चैत्र कृ. 10, सं. 2080 वि. (5 अप्रैल, 2024)

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]