कविता

क्या हो गया है?

क्या हो गया है

आजकल के मां बाप को,

जो बच्चों को दे देते हैं पूरी तरह छूट,

ऐसा कर खुद ही

उनके बचपन को लेते हैं लूट,

उनके भविष्य की चिंता न कर

नित्य सफलता की उम्मीद करते हैं,

नैतिकता की चंद बातें,

संग बैठ नहीं करते पारिवारिक मुलाकातें,

और अपेक्षा सदाचारिता की,

बच्चों को मनमाना धन देने का मतलब है

उनको नैतिक पतन की ओर धकेलना,

गलती करने पर,

अनैतिक कर्म करने पर,

पश्चाताप करने देने के बजाय

उनकी ढाल बनते हैं,

भूल जाते हैं कि औलादें

प्यार और कठोरता दोनों से छनते हैं,

मानाकि अपने को

सर्वश्रेष्ठ अभिभावक दिखाते हो,

तो स्वीकारो कि उन्हें

खुद ही काली दुनिया की राह ले जाते हो,

अपने में से कम से कम

आधा संस्कार तो दे पाते,

ताकि एक उम्र में जा उनकी प्रशंसा ले पाते,

देश को एक अच्छा नागरिक देना

हर माता पिता का फर्ज़ होता है,

थोड़ा तो उतारना होगा

जो वतन का हम पर कर्ज होता है।

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554