द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी
तुम महामंत्र, पावन सुधा सी
तुम हो जीवन की संजीवनी ।
योग साधना में हुई लीन जब
कहलाई तुम माँ ब्रम्हचारिणी ।।
मेरे गीत, कविता की रागिनी
ऐश्वर्य, सुख, मंगलाचारिणी ।
तेरे नैनों के काजल से लिखूं
देश गुणगान माँ ब्रम्हचारिणी ।।
कमण्डल और मालाधारिणी
अशांति, क्रोध,लोभ विनाशिनी ।
करें संयम, सुख-शांति में वृद्धि
पूजे जो कोई माँ ब्रम्हचारिणी ।।
— गोपाल कौशल भोजवाल