भजन/भावगीत

द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी 

तुम महामंत्र, पावन सुधा सी

तुम हो जीवन की संजीवनी । 

योग साधना में हुई लीन जब 

कहलाई तुम माँ ब्रम्हचारिणी ।।

मेरे गीत, कविता की रागिनी

ऐश्वर्य, सुख, मंगलाचारिणी ।

तेरे नैनों के काजल से लिखूं

देश गुणगान माँ ब्रम्हचारिणी ।।

कमण्डल  और  मालाधारिणी 

अशांति, क्रोध,लोभ विनाशिनी ।

करें संयम, सुख-शांति में वृद्धि 

पूजे जो कोई माँ ब्रम्हचारिणी ।।

— गोपाल कौशल भोजवाल 

गोपाल कौशल "भोजवाल"

नागदा जिला धार मध्यप्रदेश 99814-67300