कविता
इश्क के हमने फ़साने लिख दिए।
जैसे सदियां और जमाने लिख दिए।।
यारों की महफिल में चर्चे जब चले
हमने मिलने के बहाने लिख दिए।।
याद उनकी जब कभी आई हमें।
उनके हिस्से के तराने लिख दिए।।
बेवफा इक सुलगती सी रात में।
हिस्से आए जग के ताने लिख दिए।।
दर्दे दिल जो समझ पाए ना कभी।
हमने अपने और बेगाने लिख दिए।।
गौर से जब देखा हमने शहर में।
कितने अंधे कितने काने लिख दिए।।
शमां पे परवानों का जलना लिखा।
इश्क में डूबे दीवाने लिख दिए ।।
खत पढ़े जब मुद्दतों के बाद तो।
वरक़े खाली फिर पुराने लिख दिए।।
जब बहारों के हसीं मंजर दिखे ।
पल वो सारे फिर सुहाने लिख दिए।।
— अशोक दर्द