भजन/भावगीत

मां कालरात्रि 

सप्तमस्वरूप भयानक धरा माँ कालरात्रि 

त्रिनेत्रा, चमकीली मालाधारी माँ कालरात्रि ।  

आधि-व्याधि से जलती काया को तृप्त करें

दैत्य – दानव  विनाशिनी है  माँ सुफलदात्री ।।

नारी सशक्तिकरण का रूप है माँ कालरात्रि

सृजन शक्ति है, सृष्टि की दृष्टि है माँ कल्याणी ।

आदिशक्ति का अंश है, ब्रह्मांड का सारांश है।

महामाया , चंडी , ज्वाला  है  माँ  कालरात्रि ।।

गर्दभ सवारी, हाथ में लौहकंटक, खड़गधारी 

करें साधक की मनोकामना पूरी माँ कालरात्रि ।

गुड़ का नैवेद्य चढाने से,होय रोग,शोक,बाधा दूर 

बुरे कर्मों से रोके, सदा साथ रहें माँ कालरात्रि ।।

माँ दुर्गा की सीरत है तो सूरत है  माँ कालरात्रि 

सुजनों से प्यार, दुर्जनों पर प्रहार है माँ कालरात्रि ।

पराक्रम है , वीरता है , अपराजित जगदंबिका है 

शक्ति की वर्णमाला, भक्ति का उजाला है नवरात्रि ।।

— गोपाल कौशल भोजवाल

गोपाल कौशल "भोजवाल"

नागदा जिला धार मध्यप्रदेश 99814-67300