कविता

समय की धारा में

लौट के तो आ गए कदम
पर साँसें वही गई है थम।
यादों की गठरी को चुन ली
जीवन में अब कैसा है गम।

बीते लम्हें क्या हैं काम
संग जब वो तो छटेंगे तम।
नदी के दो किनारे सही
सदा रहेंगे हम तो सम।

— सविता सिंह मीरा

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - meerajsr2309@gmail.com