बाल कविता

बाल कविता – मेला

चारों ओर मची है धूम ।

सोनू-मोनू, चंपक रहे झूम ।।

मेला लगा बड़ा सलोना ।

खूब बिक रही खेल- खिलौना ।।

झूला झूल रहे छोटे बच्चे ।

चमक रहे हरे, नीले- पीले कंचे ।।

मिलजुल कर सबने मेला देखा ।

जोकर का खेल अनोखा ।।

ठंडी- ठंडी आइसक्रीम का लगा ठेला ।

खाने पहुंच गया बच्चों का रेला ।।

 बच्चों ने खुशी मनाई भारी ।

 तब घर जाने की करी तैयारी ।।

खुशी-खुशी घर सब बच्चे आये ।

मेले के किस्से मम्मी-पापा को सुनाये ।।

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111