लघुकथा

साइकिलिंग परी

प्रीति मस्‍के उसका नाम था. प्रीति तो सबसे करती थी और साइकिलिंग से भी, पर उसे साइकिलिंग का मौका ही कब मिला! शादी से पहले कहीं कोचिग सेंटर नहीं दिखा, शादी के बाद घर-गृहस्थी में फंस गई. बच्चों की सही परवरिश भी तो जरूरी थी न! अब बच्चे बड़े हो गए हैं, कुछ आजादी मिली, कुछ छीनी! उसने 40 साल का होने के बाद साइकिलिंग शुरु की. वह कई तरह की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं का सामना कर रही हैं. उसके बावजूद घर और ऑफिस का काम संभालते हुए 45 साल की उम्र में वह 55 घंटे 13 मिनट में अकेले साइकिल चलाकर लेह से मनाली पहुंचने वाली पहली महिला बन गईं. वह लाखों-लाख लोगों की रोल मॉडल हैं.
लोग उसे प्यार से साइकिलिंग परी कहते हैं.

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244