साइकिलिंग परी
प्रीति मस्के उसका नाम था. प्रीति तो सबसे करती थी और साइकिलिंग से भी, पर उसे साइकिलिंग का मौका ही कब मिला! शादी से पहले कहीं कोचिग सेंटर नहीं दिखा, शादी के बाद घर-गृहस्थी में फंस गई. बच्चों की सही परवरिश भी तो जरूरी थी न! अब बच्चे बड़े हो गए हैं, कुछ आजादी मिली, कुछ छीनी! उसने 40 साल का होने के बाद साइकिलिंग शुरु की. वह कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रही हैं. उसके बावजूद घर और ऑफिस का काम संभालते हुए 45 साल की उम्र में वह 55 घंटे 13 मिनट में अकेले साइकिल चलाकर लेह से मनाली पहुंचने वाली पहली महिला बन गईं. वह लाखों-लाख लोगों की रोल मॉडल हैं.
लोग उसे प्यार से साइकिलिंग परी कहते हैं.
— लीला तिवानी