कॉकरोच
कॉकरोच की सुनो कहानी।
करते हैं अपनी मनमानी।।
कोने–कोने में छिप जाएं।
सभी मित्र अपने सँग लाएं।।
अर्धरात्रि सब बाहर आए।
इक दूजे से भेंट लगाए।।
इर्द–गिर्द कर भागादौड़ी।
लगे घूमने जोड़ी–जोड़ी।।
दावत इनकी लगी रसोई।
लिपटे सब आटे की लोई।।
भोजन को जूठा कर जाते।
फूड पाॅइज़न ये फैलाते।।
तभी अचानक मम्मी जागी।
हाय राम! चिल्लाती भागी।।
मन ही मन तरकीब लगाई।
काॅकरोच की नहीं भलाई।।
आज सभी को मजा चखाऊँ।
अपने घर से इन्हें भगाऊंँ।।
जल्दी से वो हिट ले आई।
कोने–कोने में छिड़काई।।
अफरा तफरी ऐसी छाई।
सोचे क्या आफत है आई।।
इक दूजे से वे टकराते।
कॉकरोच सब गिरते जाते।।
सुध बुध खोकर दौड़ लगाते।
ना आने की कसमें खाते।।
जान बचाकर सारे भागे।
कोई पीछे कोई आगे।।
— प्रिया देवांगन “प्रियू”