इन्तजार
अब न आयेगी लौटकर वो रात कभी!
बांहो मे बांहे लेकर बैठे थे साथ कभी!!
आंखो में आंखे डालकर मुस्कुराना तेरा!
चुपके से कह देना दिल के राज सभी !!
वो खींचकर आगोश मे ले लेना तेरा !
और छेड़कर जाना दिल के तार सभी!!
खामोश जुबां से किया करते थे बातें तुम!
पूछ लो कोई सवाल इस वक्त आज अभी!!
भर आयें है नैना आज तो तुम्हारी याद मे !
सुनो सदा मेरी बताओ क्या लौटोगे कभी !!
मेरा अंदाज जो कल था आज भी वही है!
खड़ी हूं चौखट पर मै आज तक वहां अभी!!
रास न आया ये जमाना मुझे मेरे सनम !
इन्तजार है कज़ा का आयेगी कभी न कभी!!
— प्रीती श्रीवास्तव