कविता – उपहार
तोहफा कहें या भेंट,
ज़िन्दगी की उफ़ान बढ़ाती है।
खतरों से खेलने की,
अदा हमें बताने की,
हरेक क्षण,
उत्सुकता भरपूर दे जाती है।
यह एक पुरस्कार का अलग रंग है,
तन-मन को,
खुशियां दे जाती है।
हरेक क्षण लोगों को,
मजबूरियां से,
अवगत कराती है।
यही खुशियां पलतीं है,
सजतीं और संवरती है।
यह एक सुखद अहसास है,
मन को अन्दर तक,
सर्वदा मन को शीतल करके,
मन को शांति देने का,
करतीं भरपूर प्रयास है।
इनाम और दान पाते हैं लोग,
इनके हैं भिन्न-भिन्न नाम।
खुशियों से भर कर,
मन को सुकून से रहने का कृत्य है इनका,
इस कारण पाते हैं प्रणाम।
समर्पण मेहनत जोश का,
यह है एक सौभाग्य।
इसके सानिध्य में सफलता शिखर पर रहकर,
दूर कर देता है दुर्भाग्य।
यही प्रतिभा को,
मिलता है सम्मान।
सुख-समृद्धि और उत्साह से,
भरपूर देती है खुशियां,
नहीं देता है अभिमान।
भावनाओं को ठेस न पहुंचे,
यही है इसके संस्कार।
उम्मीदों पर खरा उतरना,
सब करते हैं मेहनत,
देती है सुखद संसार।
नवीन प्रयास किया जाता है,
उपहार है एक सौभाग्य,
इसके बदले यह दिलाता है एक स्थान।
इस कारण से समय -समय पर,
हरेक क्षण लोगों को, समझाने में,
सफल हो जातें हैं हरेक इंसान।
— डॉ. अशोक