क्षणिका
पेड़ के अगर पंख होते
तो वह छान मारता
सारी धरती सारा आकाश
उस चिड़िया के लिए
जो शाम को घोंसले में नहीं लौटी!
— मदन मोहन सक्सेना
पेड़ के अगर पंख होते
तो वह छान मारता
सारी धरती सारा आकाश
उस चिड़िया के लिए
जो शाम को घोंसले में नहीं लौटी!
— मदन मोहन सक्सेना