सबसे खुशकिस्मत इंसान
कितने सुख थे उस अस्पताल में, इतनी बीमार होते हुए भी मीनू खुश-सी दिखती थी! जब मन चाहे, अपनी मर्जी का खाना-पीना, अअपताल के अंदर-बाहर सैर कराने के लिए सोशल वर्कर, जो गेम्स चाहिएं, तुरंत हाजिर. नए-नए गेम्स के लिए कम्प्यूटर और सिखाने वाला प्रशिक्षक, अपने पेशे में निपुण और मृदुभाषी डॉक्टर, स्नेहिल नर्सें, ब्यूटीशियन से जो मर्जी सेवा ले लो, चित्रकला करनी है, कागज-पैसिल-रंग हाजिर, बुनाई करनी है मनपसंद रंग की ऊन-सलाइयां तैयार! सब कुछ था, बस मीनू के मन को कुछ अच्छा नहीं लग रहा था, इसलिए जीने की चाहत खत्म हो गई थी.
“आप जिस भी इष्टदेव को मानती हैं, उसको हमसफर बना लीजिए, जीवन का सफर आसान हो जाएगा.” काउंसिलर ने जोर देकर सलाह दी.
मीनू ने भगवान राम को हमसफर बना लिया, लाभ होना शुरु हुआ, अब मीनू खुद को सबसे खुशकिस्मत इंसान मानती है.
— लीला तिवानी