कविता

ये महकती खुशबू

सिर्फ फूल ही नहीं देते खुशबू
फल भी देते,
आज भी देते हैं कल भी देते हैं,
यहीं नहीं रिश्ते भी महकते हैं,
संत,गुरू,पीर,फरिश्ते महकते हैं,
आचार व्यवहार महकते हैं,
सबसे ज्यादा विचार महकते हैं,
पता नहीं किसी को महसूस होता है या नहीं
पर हर वो संत,गुरू,महापुरुष,
जिन्होंने गरीब,प्रताड़ित,वंचितों के जीवन में
आमूलचूल परिवर्तन लाने का प्रयास किया,
समता,समानता,बंधुता का विचार लाया,
सबके मन मस्तिष्क में गहरा छाया,
बुद्ध की महक पूरे विश्व में छाया है,
जिसने सत्य अहिंसा शांति का मार्ग बताया है,
वहीं खुशबू हमने महसूस किया
महामना ज्योति बा फुले में,
शिक्षा की देवी सावित्री बाई फुले में,
तभी आज झूल पा रहे
शिक्षा के झूले में,
कबीर,रैदास,नानक,पेरियार,
गुरू घासीदास,नारायणा गुरू,
और भीम ने सम्पूर्ण संविधान दिया,
संपूर्ण विश्व ने जिन्हें सम्मान दिया,
राजनीतिक जन चेतना के मसीहा कांशीराम,
जिसने दिया वंचितों की चेतना को आयाम,
किस किस फूल और खुशबू को
दिन रात क्षण क्षण याद करूं,
किसको भूलूं,किसकी फरियाद करूं,
इनके दिए विचार आज भी
पूरे विश्व को महका रहे हैं,
नफ़रती नफरत लेकर भी कुछ कर नहीं पा रहे हैं,
चलो अपने दिल में नैतिकता धरते हैं,
इन सभी खुशबुओं का सम्मान करते हैं।

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554