क्षणिका क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 14/06/202414/06/2024 अनारकली बनकर नाच रहीं थी हसरतें जो ख़ामखाँ दीवार चुनकर चुनवा दिये उनमें हमनें उनको