कविता
कब जिंदगी की शाम हो जाएं,
तन न जानें कब माटी में मिल जाएं,
कब जीवन मरण के बहुत करीब आ जाएं
यह हम सोचकर भी न घबराएं,
जो आया जीवन में एक दिन जाएगा,
न कर किसी से मोह बंदे पछताएगा,
कब तुम्हारी सांसें थम जाएंगी,
यह तुम कभी न समझ पाओगे,
जीवन का यह सत्य समझ जाओगे,
इस जन्म से मुक्ति तुम पा जाओगे,
कर्म करो ऐसे जीवन में याद किये जाओगे,
सब यही रह जाएगा सत्कर्म ही साथ जाएंगे.
— पूनम गुप्ता