कविता

मेरे सपने टूटे जो पेपर लीक हुआ

मेहनत की थी मैंने वह ठीक हुआ
ट्यूशन पर लाखों दिए ज्ञान मजबूत हुआ
पढ़ाई का कॉन्फिडेंस बढ़ा वह सटीक हुआ
परंतु मेरे सपने टूटे जो पेपर लीक हुआ

उच्च परीक्षाएं देना अब जुआ खेलना हुआ
मानव मेड रिस्क का चलन तेज हुआ
बिना मेहनत करने वालों ने आसमान छुआ
परंतु मेरे सपने टूटे जो पेपर लीक हुआ

लीक माफियाओं से एजेंसीयों का गुलजार हुआ
मेहनतकश युवाओं छात्रों का अपमान हुआ
अरमानों का सपना चकनाचूर हुआ
परंतु मेरे सपने टूटे जो पेपर लीक हुआ

शासन सो रहा जगाने वाला भी सोया हुआ
प्रशासन अपने आप में चुपी कर खोया हुआ
नीट हो या नेट उसका भी हाल ऐसा हुआ
मेरे सपने टूटे जो पेपर लीक हुआ

— किशन सनमुखदास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया