हास्य व्यंग्य

व्यंग्य – बड़े साहब का दु:ख

पेपर लीक होने पर, प्रेस कांफ्रेंस हो रही है। प्रदेश के एक आला अधिकारी उसे फेस कर रहे हैं। पत्रकार सवाल पर सवाल दाग रहे हैं।
-सर! आप को कब पता चला कि पेपर लीक हो गया-पत्रकार
-जब सोशल मीडिया पर, पेपर लीक की खबरें लाने लगीं-अधिकारी।
-आप की बदइंतजामी से, यह सब हुआ है-पत्रकार
-आप हम पर, हमारी व्यवस्था पर, बेजा आरोप लगा रहे हैं? यह उचित नहीं? हमारी पूरी व्यवस्था चाक-चौबंद थी। चूक किससे हुई, कहाँ हुई? इसकी निष्पक्ष जाँच होगी। दोषी चाहे जो हों, उन्हें बख्शा नहीं जायेगा। उन्हें उनकी भाषा में, मुंहतोड़ जवाब दिया जायेगा। ऐसी सजा दी जायेगी कि उनकी सात नस्लें याद रखेंगी।-अधिकारी
-कड़ी सजा देंगे। अपराधी चाहे जो हो उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। यह सुन-सुन कर सब पक चुके हैं। जिस तरह से बार-बार पेपर लीक हो रहे हैं, ऐसे में, तैयारी में लगे बच्चों का भविष्य क्या होगा सर! -पत्रकार
-तैयारी कर रहे छात्रों से मेरा आग्रह है कि वे संयम से काम लें। सब्र से काम लें। सब्र का फल मीठा ही नहीं,रसीला भी होता है।-अधिकारी
-आज सब्र करते-करते हजारों-लाखों बेरोजगार सड़क पर मारा-मारा घूम रहा है, ओवरएज हो रहा है। आप फिर कह रहें हैं, सब्र से काम लें। किसी दिन उनका सब्र का प्याला टूट गया तो?- पत्रकार
-देखिए आप राष्ट्रविरोधियों और देशद्रोहियों की तरह सवाल न करें अगर देश के संविधान पर, देश की कानून व्यवस्था पर, आप को विश्वास नहीं, तो आगे फैसला आप खुद ही कर लीजिए। अधिकारी खासे गुस्सा हो गये। प्रेस कांसफ्रेंस छोड़ कर अपनी गाड़ी में बैठ कर फुर्र।
अधिकारी घर आए, मुँह लटका कर बैठ गये।
पत्नी-आज बडे दुःखी लग रहे हो?क्या बात है?
अधिकारी-पेपर लीक हो गया?
पत्नी-ये कौन नई बात है, अब यह तो आम बात हो गयी?
अधिकारी-लीक की चिंता नहीं है?
पत्नी-तो काहे की?
अधिकारी-जिनका-जिनका एडवांस लेकर रखा था, पास कराने के लिए, अब उनको जवाब क्या दूं?
पत्नी-हुंह! इसमें कौन बड़ी बात? कह दो अगली बार।
अधिकारी-बस अब यही विकल्प है।
पत्नी-जो अगली बार ओवर ऐज हो रहे हों, जिन्हें सब्र न हो, उनका पैसा वापस कर दो सिंपल।
अधिकारी-हमें तो लगता है, हमसे भी बड़ा कोई मगरमच्छ है यहाँ ।

— सुरेश सौरभ

सुरेश सौरभ

शिक्षा : बीए (संस्कृत) बी. कॉम., एम. ए. (हिन्दी) यूजीसी-नेट (हिन्दी) जन्म तिथि : 03 जून, 1979 प्रकाशन : दैनिक जागरण, राजस्थान पत्रिका, हरिभूमि, अमर उजाला, हिन्दुस्तान, प्रभात ख़बर, सोच विचार, विभोम स्वर, कथाबिंब, वगार्थ, पाखी, पंजाब केसरी, ट्रिब्यून सहित देश की तमाम पत्र-पत्रिकाओं एवं वेब पत्रिकाओं में सैकड़ों लघुकथाएँ, बाल कथाएँ, व्यंग्य-लेख, कविताएँ तथा समीक्षाएँ आदि प्रकाशित। प्रकाशित पुस्तकें : एक कवयित्री की प्रेमकथा (उपन्यास), नोटबंदी, तीस-पैंतीस, वर्चुअल रैली, बेरंग (लघुकथा-संग्रह), अमिताभ हमारे बाप (हास्य-व्यंग्य), नंदू सुधर गया, पक्की दोस्ती (बाल कहानी संग्रह), निर्भया (कविता-संग्रह) संपादन : 100 कवि, 51 कवि, काव्य मंजरी, खीरी जनपद के कवि, तालाबंदी, इस दुनिया में तीसरी दुनिया, गुलाबी गालियाँ विशेष : भारतीय साहित्य विश्वकोश में इकतालीस लघुकथाएँ शामिल। यूट्यूब चैनलों और सोशल मीडिया में लघुकथाओं एवं हास्य-व्यंग्य लेखों की व्यापक चर्चा। कुछ लघुकथाओं पर लघु फिल्मों का निर्माण। चौदह साल की उम्र से लेखन में सक्रिय। मंचों से रचनापाठ एवं आकाशवाणी लखनऊ से रचनापाठ। कुछ लघुकथाओं का उड़िया, अंग्रेज़ी तथा पंजाबी आदि भाषाओं में अनुवाद। सम्मान : अन्तरराष्ट्रीय संस्था भाखा, भाऊराव देवरस सेवा न्यास द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर प्रताप नारायण मिश्र युवा सम्मान, हिन्दी साहित्य परिषद, सीतापुर द्वारा लक्ष्य लेखिनी सम्मान, लखीमपुर की सौजन्या, महादलित परिसंघ, परिवर्तन फाउंडेशन सहित कई प्रसिद्ध संस्थाओं द्वारा सम्मानित। सम्प्रति : प्राइवेट महाविद्यालय में अध्यापन एवं स्वतंत्र लेखन। सम्पर्क : निर्मल नगर, लखीमपुर-खीरी (उत्तर प्रदेश) पिन कोड- 262701 मोबाइल- 7860600355 ईमेल- sureshsaurabhlmp@gmail.com

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