कविता – वर्षा ऋतु की धूम
आनन्द और संतुष्टि को,
प्रसन्नता देने वाली ताकत बनकर,
खुशियां बिखेर रहीं हैं।
तमन्नाओं से भरी हुई यादों को,
कुरेदने में लगीं हुईं हैं।
यही खूबसूरत जिंदगी है,
अक्सर लोगों की राय है।
उन्मुक्त गगन में शामिल होने उम्मीद है,
यही कारण है कि,
सम लगते हैं जीवित,
नहीं दिखता कोई मृतप्राय है।
पेड़-पौधे उत्सव मनाते हैं,
उम्मीदों पर खरा उतरने में,
सबसे आगे खड़े होकर,
खुशियां समेटने में लग जाते हैं।
पक्षियों को सुकून देने वाली,
खुशियां परोसतीं है।
आनन्द और प्रसन्नता से,
खूबसूरत तस्वीरें खोजते हुए,
सबमें आशा भरपूर देती है।
यही सजी-धजी जिंदगी है,
समर्पण मेहनत जोश और उत्साह से सराबोर है।
इसकी वजह से,
सारी दुनिया में बसी हुई खुशियां और सुकून से,
सब भावविभोर है।
इसकी वजह से हमेशा,
आनंदित रहते हैं लोग।
तकलीफें झेलने में,
बेखबर हो जातें हैं लोग।
अत्यधिक सुंदर माहौल में,
उमंग और उत्साह भर देती है।
हमेशा कष्टप्रद माहौल में,
ढलने की हिम्मत देते हुए,
ताकत और सुकून देने से,
कभी परहेज़ नहीं करतीं हैं।
— डॉ. अशोक, पटना