राजनीति

केंद्रीय बजट 2024-25 में 9 बुनियादी प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित 

वैश्विक स्तरपर सारी दुनियां की नजरे भारत के 23 जुलाई 2024 को पेश हुए बजट पर लगी हुई थी।मेरा मानना है कि मानवीय जीव का ऐसा स्वभावी होता है कि वह हर मौके पर अपना लाभ सुख सुविधा देखने में अधिक रुचि रखते हैं, याने कोई भी कार्य अगर वे करते हैं या होता है तो, वे सोचते हैं कि इसमें मेरा क्या फायदा होगा? वह कार्य देने वाला भी सोचता है कि इसे यह कार्य देने में मेरा क्या फायदा होगा? तो मुझे क्या मिलेगा? बस इसी सोच पर दिक्कत हो जाती है और ऐसी सोच से परिवार,समाज  जिला,राज्य व राष्ट्रीय स्तरपरआगे बढ़ाने की सोच छूट जाती है। यह बात आज हम इसलिए कर रहे हैं कि 23 जुलाई 2024 को पेश हुए बजट में सारी दुनियां सहितभारत के भी करीब करीब हर क्षेत्र की नज़रें लगी हुई थी कि उन्हें क्या मिलता है? जबकि कुछ ऐसे लोग भी हैं जो यह सोच रखते हैं कि हमारे जिले राज्य व राष्ट्र को क्या मिलेगा?विकसित भारत विज़न 2047 के रोडमैप में कितना एलोकेशन हुआ, राज्य के विकास में कितना फंड मिला, भारत की बेरोजगारी को जड़ों से काटने के लिए कौशलता विकास में कितना फंड आया, व उसके डेवलपमेंट में क्या रणनीति तैयार हुई? अगर आज हम यह सोचते हैं तो बिल्कुल सही दिशा में जा रहे हैं। आज हमारा भारत एक ऐसा युवा देश है जिसकी करीब 65प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है उसमें भी बहुत अधिक आबादी 28 वर्ष के आसपास है, इसलिए इस युवा पीढ़ी को कौशलता की दक्षता से लैस कर अंतरराष्ट्रीय स्तर वाली गुणवत्ता बढ़ाना हमारी प्राथमिकता होना चाहिए, जिससे हमें विकसित राष्ट्र बनने में सुगमता होगी, जिसकी तैयारी 23 जुलाई 2024 को पेश हुए बजट 2024-25 में दिखी जिसमें 9 बुनियादी प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है जो तारीफे काबिल है। चूंकि युवाओं को कौशल दक्षताओं से लैस कर गुणवत्ता बढ़ाना विकसित भारत की राह में मील का पत्थर साबित होगा इसलिए आज हम मीडिया पीआईबी में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, केंद्रीय बजट 2024-25 में 9 बुनियादी प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित 

साथियों बात अगर हम बजट 2024-25 में रोज़गार और कौशल विकास को बढ़ावा देने की करें तो, सरकार ने रोज़गार और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए एक मज़बूत पैकेज उजागर किया है, जिसका लक्ष्य पाँच वर्षों में 4.1 करोड़ युवाओं को शामिल करना है। इसमें रोज़गार सृजन को बढ़ाने और कर्मचारियों और नियोक्ताओं को समर्थन देने के लिए रोज़गार से जुड़ी तीन प्रोत्साहन योजनाएँ शामिल हैं। स्कीम (ए)-फर्स्ट टाइमर ईपीएफओ के साथ पंजीकृत पहली बार के कर्मचारियों को तीन किस्तों में 15,000 रुपए तक की पेशकश करती है, जिससे प्रवेश करने वाले नए कार्यबल को प्रोत्साहन मिलता है। स्कीम (बी)-विनिर्माण में रोज़गार सृजन, रोज़गार के पहले चार वर्षों में कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों के लिए ईपीएफओ अंशदान के लिए प्रोत्साहन प्रदान करता है, जिससे विनिर्माण क्षेत्र में रोज़गार सृजन को बढ़ावा मिलता है। स्कीम (सी) – नियोक्ताओं को सहायता,प्रत्येक अतिरिक्त कर्मचारी के लिए ईपीएफओ अंशदान के लिए दो साल के लिए प्रति माह ₹3,000 तक की प्रतिपूर्ति करती है,जिससे नियोक्ताओं पर वित्तीय बोझ कम होता है और कार्यबल विस्तार को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा, इंटर्नशिप के लिए एक नई योजना 500 शीर्ष कंपनियों में 1 करोड़ युवाओं के लिए अवसर प्रदान करेगी, जिससे उन्हें उद्योग में खुलने का और मूल्यवान अनुभव मिलेगा। 

साथियों बात अगर हम बजट 2024-25 में रोज़गार क्षमता बढ़ाने में कौशल विकास की मज़बूत प्रतिबद्धता की करें तो,भारत सरकार ने रोजगार क्षमता बढ़ाने और उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न व्यापक पहलों के माध्यम से कौशल विकास के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता दिखाई है। केन्‍द्रीय बजट 2024-25 के तहत, एक उल्लेखनीय विशेषता राज्य सरकारों और उद्योग के सहयोग से प्रधानमंत्री पैकेज के तहत एक नई केन्‍द्र प्रायोजित योजना की घोषणा है। इस योजना का उद्देश्य पाँच वर्षों में 20 लाख युवाओं को कौशल प्रदान करना और 1,000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) को उन्नत करना है।इसके अतिरिक्त, मॉडल कौशल ऋण योजना को संशोधित किया जाएगा ताकि सरकार की गारंटी के साथ 7.5 लाख रुपए तक के ऋण की सुविधा दी जा सके, जिससे सालाना 25,000 छात्रों को लाभ होगा। ऐसे लोग जो मौजूदा योजनाओं का लाभ लेने के योग्‍य नहीं हैं, उन्‍हें घरेलू संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए रूपये 10 लाख तक के ऋण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, जिसमें ई-वाउचर प्रत्येक वर्ष 1 लाख छात्रों के लिए 3 प्रतिशत की वार्षिक ब्याज दर में छूट प्रदान करेंगे।इन नए उपायों के अनुरूप, सरकार स्थापित कार्यक्रमों का समर्थन करना जारी रखती है। कौशल विकास और उद्यमिता पर राष्ट्रीय नीति (एनपीएसडीई) अंतराल को पाटने, उद्योग की भागीदारी में सुधार करने और प्रशिक्षुता के अवसरों का विस्तार करने के लिए जारी है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) ने 2015 से 1.42 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को सफलता पूर्वक प्रशिक्षित किया है, जिसमें 1,000 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों को कौशल भारत केन्‍द्रों के रूप में जोड़ा गया है। 14,955 आईटीआई के साथ शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस) दीर्घकालिक व्यावसायिक प्रशिक्षण पर ध्यान केन्‍द्रित करती है, जिसमें महिला भागीदारी में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है। जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) गैर/नव-साक्षरों को लक्षित करता है, जिसने वित्त वर्ष 19 से वित्त वर्ष 24 तक 26.36 लाख व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया है, जिसमें 82 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं। साथियों बात अगर हम केंद्रीय बजट 2024-25 में 9 बुनियादी प्राथमिकताओं की करें तो,केन्‍द्रीय बजट 2024-25 में नौ बुनियादी प्राथमिकताओं पर ध्यान केन्‍द्रित करके विकसित भारत का लक्ष्‍य हासिल करने के लिए एक व्यापक रणनीति की रूपरेखा तैयार की गई है, जिसका उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए प्रचुर अवसर पैदा करना है। साथ ही साथ, ये पहल भारत को एक विकसित राष्ट्र का दर्जा दिलाने के लिए तैयार की गई हैं।(1)कृषि में उत्पादकता और लचीलापन (2)रोजगार और कौशल (3) समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय(4) विनिर्माण और सेवाएँ(5)शहरी विकास (6)ऊर्जा सुरक्षा (7) बुनियादी ढांचा (8) नवाचार, अनुसंधान और विकास तथा (9) अगली पीढ़ी के सुधार, कौशल और रोजगार को प्राथमिकता देने वाला 2024-25 का केन्‍द्रीय बजट राष्ट्र निर्माण में इन पहलुओं की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है। कौशल कार्यबल को उद्योग की मांगों को पूरा करने, नवाचार और उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक दक्षताओं से लैस करता है। रोजगार न केवल आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करता है बल्कि व्यक्तियों को सशक्त बनाता है, उनके जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाता है और समाज की समग्र प्रगति में योगदान देता है।सबसे युवा आबादी में से एक, 28 वर्ष की औसत आयु के साथ, भारत एक ऐसे कार्यबल का पोषण करके अपने जनसांख्यिकीय लाभांश का उपयोग कर सकता है जो रोजगार योग्य कौशल से लैस हो और उद्योग की जरूरतों के लिए तैयार हो। भारत की तेजी से बढ़ती आबादी का 65 प्रतिशत हिस्सा 35 वर्ष से कम आयु का है और कई लोगों में आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक कौशल का अभाव है। अनुमानों के अनुसार लगभग 51.25 प्रतिशत युवा रोजगार के योग्य माने जाते हैं। हालांकि, यह ध्यान देने वाली बात है कि पिछले दशक में यह प्रतिशत लगभग 34 प्रतिशत से बढ़कर 51.3 प्रतिशत हो गया है। 

साथियों बात अगर हम बजट 2024-25 में संशोधित मॉडल कौशल ऋण योजना की करें तो,भारत सरकार ने रोजगार क्षमता बढ़ाने और उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न व्यापक पहलों के माध्यम से कौशल विकास के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता दिखाई है। केन्‍द्रीय बजट 2024-25 के तहत, एक उल्लेखनीय विशेषता राज्य सरकारों और उद्योग के सहयोग से प्रधानमंत्री पैकेज के तहत एक नई केन्‍द्र प्रायोजित योजना की घोषणा है। इस योजना का उद्देश्य पाँच वर्षों में 20 लाख युवाओं को कौशल प्रदान करना और 1,000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) को उन्नत करना है।इसके अतिरिक्त, मॉडल कौशल ऋण योजना को संशोधित किया जाएगा ताकि सरकार की गारंटी के साथ 7.5 लाख रुपए तक के ऋण की सुविधा दी जा सके, जिससे सालाना 25,000 छात्रों को लाभ होगा। ऐसे लोग जो मौजूदा योजनाओं का लाभ लेने के योग्‍य नहीं हैं, उन्‍हें घरेलू संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए 10 लाख रुपए तक के ऋण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, जिसमें ई-वाउचर प्रत्येक वर्ष 1 लाख छात्रों के लिए 3 प्रतिशत की वार्षिक ब्याज दर में छूट प्रदान करेंगे।इन नए उपायों के अनुरूप, सरकार स्थापित कार्यक्रमों का समर्थन करना जारी रखती है। कौशल विकास और उद्यमिता पर राष्ट्रीय नीति (एनपीएसडीई) अंतराल को पाटने, उद्योग की भागीदारी में सुधार करने और प्रशिक्षुता के अवसरों का विस्तार करने के लिए जारी है। पीएम कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) ने 2015 से 1.42 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया है, जिसमें 1,000 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों को कौशल भारत केन्‍द्रों के रूप में जोड़ा गया है। 14,955 आईटीआई के साथ शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस) दीर्घकालिक व्यावसायिक प्रशिक्षण पर ध्यान केन्‍द्रित करती है, जिसमें महिला भागीदारी में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है। जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) गैर/नव-साक्षरों को लक्षित करता है, जिसने वित्त वर्ष 19 से वित्त वर्ष 24 तक 26.36 लाख व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया है, जिसमें 82 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं शामिल भी हैं। 

— किशन सनमुखदास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया