कविता – सामुहिक समर्पण
यह एक सुखद अनुभव है,
सब मानते हैं कि,
इसकी जरूरत में,
सबका दिखता उद्भव है।
यही जिंदगी की आगाज़ है,
सबमें दिखता है विश्वास,
इस कारण मानते हैं कि,
यही सबकी आवाज है।
जनतांत्रिक गठबंधन को,
सर्वथा उचित माना जाता है।
इस ताकत से निकली हुई आवाज में,
सब दिखता ताजा ताजा है।
यही एकता की दुनिया से,
हमें सफलता दिलाने में,
उम्मीद बनाएं रखने में मदद करता है।
सारी बधाइयां और शुभकामनाएं,
इस वजह से ही,
सबको मिलता है।
यही विश्वास की नींव रखी जाती है,
विचार मंच में आकर,
सबकी भागीदारी से,
आगे बढ़ने की तरकीब खोजने की,
भरपूर कोशिश की जाती है।
मतभेद न हो इसके लिए,
हम-सब मिलकर रहें,
जिंदगी की खुशबू को,
सब मिल-बांटकर सहें।
इस ताकत को बढ़ाने में,
सामुहिक रूप में स्वीकार्य निर्णय किया जाना चाहिए।
उम्मीदों पर खरा उतरने में,
मिलजुलकर काम करने की,
हिम्मत रखनी चाहिए।
सामुहिक रूप में एक सुखद अनुभव का,
आनन्द लेने की गहराई से,
अध्ययन जरूरी है।
नवीन प्रयास किया जाता है,
इस कारण इस ताकत से,
रूबरू होना वर्तमान परिस्थितियों में,
सबसे बड़ी मजबूरी है।
— डॉ. अशोक, पटना