गीतिका/ग़ज़ल

हंसेगा जमाना

समय के साथ यदि ना चल सकेगा,
ज़माना एक दिन तुझ पर हॅंसेगा।

बढ़ा ले वक्त पर तू भाव अपने,
नहीं बेवक्त फिर मंदा बिकेगा।

अगर बचपन में की चिंता फिकर तो,
जवानी भर नहीं फिर हॅंस सकेगा।

जवानी में नहीं जोखिम लिया तो,
बुढ़ापे भर न जी भर जी सकेगा।

हुनर को साथ रख हिम्मत बढ़ा ले,
इसी हिम्मत से तू रण जीत लेगा।

— प्रदीप शर्मा

प्रदीप शर्मा

आगरा, उत्तर प्रदेश