कविता

कविता

बीते कल के दुखद यादों में खोना नहीं
वर्तमान के कष्ट को देखकर रोना नहीं,
हर इंसान का अपने भाग्य का एक पन्ना है
भूत और वर्तमान से खुद संघर्ष कर उभरना है।
भविष्य का कोई मोल तोल नहीं
अनिश्चताओं से भरा ये झोल है,
कभी खुशी तो कभी गम का ये खेल है
इस चिंता में अपने को कभी घेरना नहीं।
हमेशा याद रखना वक्त से बड़ा कोई बलवान नहीं
जो संकट की घड़ी झेल न पाया वो शक्तिमान नहीं,
अपने दिल और जिगर को मजबूत बनाना है
हर संकट को संघर्ष कर दूर भगाना है।
देखा जाए तो ये सब कालचक्र का रचा चक्कर है,
दुनिया से जाते वक्त क्या राजा क्या रंक सब फक्कर हैं
तो फिर काहे रोना धोना और हाय हाय
बस सुख चैन से हर पल को जियो और चिंता को कह दो बाय बाय।

— मृदुल शरण