कविता – खेल
मानवीय मूल्यों में,
अद्भुत आभार है।
सब कहते हैं,
सर्वश्रेष्ठ व्यवहार है।
उम्दा आगाज़ पैदा करने का,
सबसे खूबसूरत उपहार है।
सब कहते हैं इस सत्य को,
सबसे करीबी आभार है।
समय-समय पर आत्मिक सुख देता है,
स्वस्थ रहना चाहिए,
हमें आगे बढ़ने का,
इल्म हासिल करने में,
मदद पहुंचाता है।
खेल मनोरंजन के साथ,
उत्तम विचार संग,
हंसी जगाती है।
स्वस्थ परम्परा को,
सदैव आगे बढ़ाती है।
सारा सच है तो दुनिया आबाद है,
खेल मनोरंजन से,
दुनिया को कर रहा आबाद है।
मन को सुकून देने वाली ताकत बनकर,
हमें आनंदित कर जाती है।
सबसे पहले करीबी बनकर,
मददगार बनकर सबसे पहले खड़ा होकर,
मुस्तैदी से ड्यूटी पर,
तैनात हो जाती है।
यही प्रतियोगिता का,
सबसे खूबसूरत रंग है।
सबमें उत्सुकता से,
भर देती उन्नत उमंग है।
आगे बढ़ने की उम्मीद है,
सब लोग इस खेल के,
बन जाते मुरीद हैं।
आज़ सम्मान और पुरस्कार दिलाने में,
सारा सच की बेजोड़ धार है।
इस ताकत से निकली हुई आवाज में,
साहित्यिक सागर का,
सबमें दिखता एक सुखद प्यार है।
खेल को समझना जरूरी है,
इस ताकत से निकली हुई आवाज में,
गोते लगाने में मशगूल होकर,
नवीन जोश में आकर,
स्वस्थ शरीर में उम्मीद बनाएं रखने के लिए,
इस ताकत की बड़ी अहमियत है,
हम कह सकते हैं,
यही सही प्रेरणा वाली,
अहसास दिलाने वाली जिंदगी है,
इसकी वजह से यह आज़ सम्मान के लिए,
बन चुकी मजबूरी है।
— डॉ. अशोक, पटना