कविता

प्रेम नशा

प्रेम कहानी से जुग है अनजाना
प्रेम मिलन का गाता है तराना
शादी हुई अब क्या पछताना
हवा महल है ये प्रेम का जमाना

दो दिल जब मिलते हैं दो अनजाने
यौवन आर्कषण का प्रेमी दीवाने
भूत प्रेम रोग जब चढ़ जाता है
घर परिवार से भी झगड़। आता है

अलग शहर में ढुँढते हैं आशियाना
आधुनिकता की रौ में बहते हैं नाना
बेरोजगारी जब घर में है रूलाता
प्रेमिका से ताने सुन गाली वो खाता

नित्य प्रतिदिन होती है दोनों में लड़ाई
खुशियों के पल चली जाती हाथापाई
ताने सुन सुन कर जब होश इन्हें आता
मामला कोर्ट कचहरी तक चला जाता

जमाने ने देखा कई प्रेम की कहानी
सुनने में सिर्फ लगती है कथा सुहानी
पर दुःऱव भरी होती है अन्त कहानी
प्रेम नशा उतर जाती है सबने है मानी

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088